चारा-दाना के लिए आश्रय स्थल में तड़प रहे गोवंश
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हरदोई : बेसहारा गोवंश को संरक्षित किए जाने के लिए सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित पशुआश्रय स्थलों के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों की अनदेखी से आश्रय स्थलों में चारा-दाना और पानी तक व्यवस्था नहीं हो पा रही है। चारा-दाना एवं पानी के अभाव में पशुआश्रय स्थलों में ही पशु दम तोड़ रहे हैं। जबकि पशुआश्रय स्थलों को एक-एक लाख रुपये की राशि चारा के लिए अभी हाल ही में जारी की गई थी।
कछौना : क्षेत्र की ग्राम पंचायत उत्तरघैया, कहली, गौसगज, खजोहना, कटियामऊ, समसपुर आदि में पशुआश्रय स्थल में चारा-पानी की अब तक की गई व्यवस्था नाकाफी काफी है। इससे पशु भूख प्यास से तड़प रहे हैं। प्रधान अमित गुप्ता का कहना है कि आश्रय स्थल में भूसा भरने के लिए टिनशेड पड़ी है। मगर सरकार द्वारा निर्धारित 30 रुपये प्रतिदिन एक पशु के लिए समय से नहीं मिल पा रहा है। जो मिलता है उससे पशुओं को कुछ दिन तक जीवित रखा जा सकता है। एक गाय 8 से 10 किलो भूसा खा सकती है। जिसके लिए 70-80 रुपये चाहिए। ऐसे ही क्षेत्र के अन्य पशुआश्रय स्थलों के हालात हैं।
गोपामऊ : विकास खंड टड़ियावां परिसर में संचालित पशुआश्रय स्थल पर भी व्यवस्थाओं का टोटा है। वहां पर तो देखभाल की जिम्मेदारी संभालने वालों के साथ ही अधिकारियों की भी प्रतिदिन नजर पड़ती रहती है। बावजूद इसके पशुआश्रय स्थल में गोवंशों के लिए चारा-दाना एवं पानी का समुचित इंतजाम नहीं हो पाता है।
बिलग्राम : क्षेत्र के पन्यौड़ी में पशुआश्रय स्थल में सभी व्यवस्थाएं समुचित नहीं हैं। वहां पर तो रविवार को ही तीन गोंवशों की मौत हो गई थी। पशु चिकित्सक ने पोस्टमॉर्टम में गोवंशों की भूख से मौत होने की पुष्टि की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि चारा-दाना आदि की व्यवस्था जिम्मेदार क्यों नहीं कर पा रहे हैं। जबकि शासन की शीर्ष प्राथमिकता में गोवंश संरक्षण को शामिल किया गया है। सोमवार को भी प्रधान एवं जिम्मेदारों की ओर से कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं।