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बेसहारा जानवरों से किसान मांगें छुटकारा

हरदोई राजपाल ने तीन बीघा गेंहू की फसल की थी। रात में जानवर घुसे और आधी फसल खराब कर दी। अब उसकी लागत निकलना मुश्किल है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:10 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 11:10 PM (IST)
बेसहारा जानवरों से किसान मांगें छुटकारा
बेसहारा जानवरों से किसान मांगें छुटकारा

हरदोई: राजपाल ने तीन बीघा गेंहू की फसल की थी। रात में जानवर घुसे और आधी फसल खराब कर दी। अब उसकी लागत निकलना मुश्किल है। प्रेमपाल का तो पूरा खेत ही चौपट हो गया। राजेश की तैयार गेंहू की फसल में साड़ घुस गए और गेंहू को नुकसान पहुंचाया। यह तो महज समझाने के लिए हैं, पूरे जिले में ऐसा ही हो रहा है। बेसहारा जानवरों से किसान परेशान हैं और छुटकारा मांग रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ध्यान दे रही है लेकिन जो किया जा रहा है वह नाकाफी है। जिससे उनकी फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। उनके अंदर आक्रोश भी पैदा हो रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार इस तरफ भी ध्यान दे। आठ हजार हैं बेसहारा जानवर जिले में हजारों की संख्या में पशु घूम रहे हैं। आश्रय स्थलों पर रखने का इंतजाम किया गया लेकिन मनमानी मार गई और पशु खेतों, सड़कों पर घूम रहे हैं। वैसे तो बेसहारा पशुओं की संख्या काफी है, लेकिन सरकारी आंकड़ों की देखी तो जिले में करीब आठ हजार बेसहारा पशु हैं।

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पशु आश्रय स्थल को मिली आधी धनराशि

सरकार की तरफ से मल्लावां क्षेत्र में पशु आश्रय स्थल का निर्माण कराया जा रहा है, एक करोड़ 20 लाख की लागत से बनने वाले आश्रय स्थल के लिए मात्र 60 लाख ही मिल पाए हैं, पूरी धनराशि न मिलने से काम प्रभावित हो रहा है।

आश्रय स्थल से सड़क पर आ गए जानवर

ग्रामीण क्षेत्रों में पशु आश्रय स्थलों पर पशुओं को रखने के लिए 30 रुपये प्रति जानवर के हिसाब से धनराशि स्वीकृत की गई थी। जिले में ऐसे 20 आश्रय स्थल भी बनाए गए और पांच लाख रुपये भी जारी हुए थे, लेकिन जानवरों की संख्या को देखते हुए धनराशि काफी कम रही और उसका लाभ नहीं मिल पाया। जिसके चलते जो आश्रय स्थलों पर थे वह बाहर आ गए।


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