ग्राम पंचायतों के पाले में फेंकी गई 12 करोड़ के हिसाब की बॉल
हरदोई : मध्याह्न भोजन योजना में वित्तीय वर्ष 2008-09 के पूर्व भेजी गई धनराशि में 12 करोड़ 72 ला
हरदोई : मध्याह्न भोजन योजना में वित्तीय वर्ष 2008-09 के पूर्व भेजी गई धनराशि में 12 करोड़ 72 लाख का उपभोग प्रमाण न मिलने से धनराशि का हिसाब नहीं जुड़ पा रहा है। शासन तक पहुंच चुकी बात के बाद अब शुरुआती जांच में बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं और सारा मामला ग्राम पंचायतों पर डाल दिया है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक ने इस धनराशि को गबन की श्रेणी में मानते हुए विद्यालय, ग्राम सभा और 2008-09 में अंतिम अवशेष धनराशि का लेखा-जोखा मांगा है।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे मील खिलाने की व्यवस्था पूर्व में ग्राम पंचायतों के पास थी और उन्हीं के खातों में धनराशि भी भेजी जाती थी। वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2014-15 तक भेजी गई कुल 15 करोड़ 20 लाख का नियंत्रक महालेखा परीक्षा भारत सरकार के लेखा परीक्षक दल ने आडिट किया था। जिसमें जांच के दौरान वर्ष 2008-2009 में भेजी गई धनराशि में 12 करोड़ 72 लाख का हिसाब नहीं मिला था। पिछले कई महीनों से चल रहा मामला शासन तक पहुंच चुका है और उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की गई थी। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक ने बीएसए हेमंतराव और एम़डीएम के नोडल अधिकारी सोमनाथ विश्वकर्मा को बुलाया था। निदेशक की तरफ से जारी पत्र में कहा गया कि दोनों अधिकारियों ने बताया कि 2008-09 के पूर्व योजना का संचालन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता था और ग्राम विकास अधिकारी व प्रधान संयुक्त खातेधारक होते थे। उन्होंने ही इसका कोई हिसाब नहीं दिया। जिसके बाद से अब हिसाब की गेंद ग्राम पंचायतों के पाले में पहुंच गई है। जिस पर निदेशक ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में धनराशि के गबन की आशंका जताते हुए 2008-09 का अंतिम अवशेष के रूप में विद्यालय और ग्राम सभाओं का नाम और धनराशि का पूरा ब्योरा मांगा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंतराव ने बताया कि जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखा जा चुका है। विभाग अपना ही लेखा जोखा तैयार कर रहा है।