फर्जीवाड़े के खेल में कई की फंस सकती गर्दन
हरदोई : डाक विभाग में फर्जी नियुक्ति के मामले में एफआइआर दर्ज होने से खलबली मच गई है। खे
हरदोई : डाक विभाग में फर्जी नियुक्ति के मामले में एफआइआर दर्ज होने से खलबली मच गई है। खेल में कई जिम्मेदारों के फंसने की बात कही जा रही है, हालांकि जिनके नाम अब एफआइआर दर्ज हुई है, उनकी जिले में तैनाती नहीं है।
थाना टड़ियावां के ग्राम सडिला निवासी लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा गया कि उपडाकघर पाली में पैकर पद पर वर्ष 2010 में सहायक डाक अधीक्षक उत्तरी मुकेश कुमार ¨सह ने की थी। यह जानकारी सूचना अधिकार में डाक अधीक्षक कार्यालय से प्रदान की गई थी। इनका आरोप है कि नियुक्ति संस्कृत से हाईस्कूल के अंकपत्र की गई थी जो फर्जी है। बताया कि डाक अधीक्षक द्वारा यूपी बोर्ड की हाईस्कूल अंक पत्र लगाकर फर्जी फाइल बनाई गई थी। जिसमें बोर्ड द्वारा मार्कशीट सत्यापन रिपोर्ट नहीं लगी। कहा कि किसी भी मार्कशीट का बोर्ड से सत्यापन हुए बिना नियुक्ति नहीं की जा सकती है। आरोप है कि नियुक्ति पत्र पर नियुक्ति अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर भी बनाए गए। आरोप लगाया कि नियुक्ति पत्र आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि सहायक अधीक्षक भ्रमण केआर भसानियां व तत्कालीन डाक अधीक्षक योगेंद्र मौर्या द्वारा प्रदान किया गया। मेरिट लिस्ट केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बाद तत्कालीन डाक अधीक्षक नईमुद्दीन द्वारा प्रदान की गई। आरोप लगाया कि तीनों की अधिकारी दूसरी नकली फाइल बनाने में दोषी है। इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। अब इसके पीछे क्या खेल है और कौन जिम्मेदार है यह तो जांच में ही सामने आएगा लेकिन एफआइआर से खलबली मच गई है।
इस संबंध में तत्कालीन डाक अधीक्षक व मौजूदा समय में लखनऊ में तैनात डाक अधीक्षक योगेंद्र मौर्या ने बताया कि यह मामला वर्ष 2010 है जबकि उनकी जिले में तैनाती 2014 में हुई थी। इसलिए उनसे इस मामले को कोई संबंध नहीं है।