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गोमती नदी के किनारे उमड़ा आस्था का सैलाब

हरदोई ऐतिहासिक 84 कोसी परिक्रमा शुक्रवार की भोर सीतापुर से चलकर हरदोई जिले की सीमा में पहुंची। बोल कड़ाकड़ सीताराम के उद्घोष के साथ रामादल का दूसरा पड़ाव कोथावां विकास खंड के हर्रैया में पड़ाव डाला।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 10:35 PM (IST)
गोमती नदी के किनारे उमड़ा आस्था का सैलाब
गोमती नदी के किनारे उमड़ा आस्था का सैलाब

हरदोई : ऐतिहासिक 84 कोसी परिक्रमा शुक्रवार की भोर सीतापुर से चलकर हरदोई जिले की सीमा में पहुंची। बोल कड़ाकड़ सीताराम के उद्घोष के साथ रामादल का दूसरा पड़ाव कोथावां विकास खंड के हर्रैया में पड़ाव डाला। दूर दूर से आए साधु संन्यासी और गृहस्थों के आस्था का सैलाब गोमदी नदी के किनारे पहुंचा। स्नान किया और फिर पूरे दिन साधु संत भजन कीर्तन करते रहे। कथाएं होती रहीं। पूरी रात भजन कीर्तन ही सुनाई देते रहे।

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रामादल की अगुआई पहला आश्रम के महंत भरतदास महाराज डंका वाले बाबा जी कर रहे हैं। चौरासी कोसी परिक्रमा नैमिषारण्य की होती है। इस परिक्रमा के पड़ाव स्थलों का अलग-अलग इतिहास है। इन पड़ाव स्थलों पर 84 हजार ऋषि मुनियों के साथ 33 कोटि देवताओं ने रात्रि विश्राम किया था। श्रद्धालु भक्त प्रभु के श्री चरणों में स्वयं को समर्पित कर पूरी निष्ठा, श्रद्धा भाव के साथ शामिल होकर रामादल में शामिल होते हैं। रामादल के इस विशाल कारवां में नाना प्रकार के साधु संत अलग-अलग वेश भूषा के साथ शामिल हुए। साधु संतों के डेरे गोमती नदी के किनारे स्थित आम के बगीचों में पड़े हुए थे। बिजली व पानी की नहीं थी व्यवस्था : हर्रेया पड़ाव स्थल पर बने रैन बसेरा में बिजली की कोई व्यवस्था न होने से मेला अध्यक्ष महंत भरत दास महाराज ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कि जनपद सीतापुर में हुई बैठक में इन रैन बसेरा को लेकर कहा गया था। इसके बावजूद इस रैन बसेरा में लाइट व पेयजल के लिए कोई पानी की टंकी नहीं रखी गई है। परिक्रमा मार्ग की नहीं सुधरी दशा: परिक्रमा हर साल होती है लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसके चलते मार्ग की दशा नहीं सुधरी ऐसे ही मार्ग पर श्रद्धालु पैदल चले। नहर में पानी न आने से प्रभावित होगी परिक्रमा: लापरवाही की भी हद होती है। परिक्रमा के समय कोथावां नहर में पानी आ जाता है। जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं पर अभी तक नहर में पानी नहीं आया। जिससे कोथावां और उमरारी के पड़ाव प्रभावित होंगे।


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