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दो वर्ष पूर्व एक महिला की मौत के बाद दर्ज हुआ था मुकदमा

नगर के नक्का कुंआ रोड़ पर जिस जच्चा बच्चा केंद्र पर एसडीएम के नेतृत्व में छापामार कर सील किया गया उस को दो वर्ष पूर्व एक महिला की मौत होने सील करने के बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था। उस दौरान लगी सील को आखिर किस अधिकारी के इशारे पर खोला गया और किस डाक्टर द्वारा संचालित किया जा रहा था इस को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कन्नी काटते नजर आ रहे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 07:27 PM (IST)
दो वर्ष पूर्व एक महिला की मौत के बाद दर्ज हुआ था मुकदमा
दो वर्ष पूर्व एक महिला की मौत के बाद दर्ज हुआ था मुकदमा

¨प्रस शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर

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नगर के नक्का कुआं मार्ग पर जिस जच्चा-बच्चा केंद्र को दो वर्ष पूर्व भी एक महिला की मौत होने पर सील करने के बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था। प्रश्न यह उठता है कि उस समय लगाई सील आखिर किस अधिकारी के इशारे पर हटाई गई और इस केंद्र का संचालक कौन है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पर रहे हैं।

बुधवार को उपजिलाधिकारी ज्योति राय द्वारा जिस जच्चा-बच्चा केंद्र पर छापामार कार्रवाई कर सील किया गया है, उस केंद्र को दो वर्ष पूर्व उपजिलाधिकारी शमशाद हुसैन ने सील किया था। सील करने के कुछ दिन बाद ही इस केंद्र पर दोबारा रोगियों की चिकित्सा की जाने लगी।

क्या था मामला : नगर निवासी कृपाल ¨सह की पत्नी माया देवी ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया कि उसने अपनी पुत्री महिमा को एक जच्चा-बच्चा केंद्र पर प्रसव कराने के लिए भर्ती कराया था। प्रसव के दौरान चिकित्सक ने प्रसूता के शरीर पर चीरा लगाया था। उसकी लापरवाही के कारण चीरा लगाने के बाद वहां से लगातार रक्त निकलता रहा। उसके बाद उसने अपनी पुत्री को मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती कराया, वहां भी राहत नहीं मिलने पर उसे नोएडा के अस्पताल में भर्ती कराया है। वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इस शिकायत पर पूर्व उपजिलाधिकारी ने 5 सितंबर 2016 को चिकित्सकों की टीम के साथ अस्पताल की जांच की। अनियमितता पाए जाने और केंद्र संचालन की स्वीकृति नहीं होने के कारण उन्होंने केंद्र को सील करा दिया और केंद्र संचालिका पर मुकदमा दर्ज करा दिया।

अवैध रूप से संचालित जच्चा-बच्चा केंद्र सरकार द्वारा संचालित जननी सुरक्षा योजना को असफल करने का प्रयास कर रहे हैं। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के लिए गर्भवती महिला को घर से लाने और ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस, दूध, अंडे, फल मक्खन, ब्रेड तथा सहयोग राशि दी जाती है। इसके बावजूद काफी महिलओं का अवैध रूप से जच्चा-बच्चा केंद्र में प्रसव करा दिया जाता है।


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