टीबी का वार हड्डी, पेट और गुर्दे को भी कर रहा है बीमार
में ही नहीं, बल्कि हड्डी, पेट और गुर्दों पर भी हमला कर सकती है। साल 201
जागरण संवाददाता, हापुड़: टीबी रोग केवल फेफड़े में ही नहीं,बल्कि हड्डी, पेट और गुर्दों पर भी हमला करता है। साल 2018 में जिले में ऐसे मरीजों की संख्या काफी रही है। ऐसे में टीबी का इलाज समय पर ना कराया जाए या इलाज ना मिल सके तो मरीज और उसके परिवार को इस बीमारी के कारण खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
अमूमन टीबी फेफड़े पर ज्यादा हमला करता है। गत वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक जिले में टीबी के मरीजों की सरकारी और निजी अस्पतालों के आंकड़ों के हिसाब से कुल संख्या 3033 मिले थे। जिसमें से 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में हड्डी, पेट और गुर्दे के मामले थे। इनके अलावा कुछ मरीज शरीर के अन्य हिस्सों की टीबी के निकले थे। इसे एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी कहते है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा देश के टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा हुआ है। जबकि डब्लूएचओ द्वारा इसका लक्ष्य 2035 तक का रखा हुआ है। हालांकि केंद्र सरकार क्षय रोग को जड़ से खत्म करने के लिए देश में विभिन्न प्रकार के अभियानों का आयोजन कर रही है। जिसमें उनको काफी हद तक सफलता भी हाथ लगती दिखाई दे रही है। वर्तमान में भी जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सघन क्षय रोग खोज अभियान का चौथा चरण चलाया हुआ है। जिसमें स्वास्थ्य टीम घरों में जा-जाकर टीबी लक्षण वाले मरीजों के बलगम का सैंपल लेकर जांच करा रही है। जांच की रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर मरीज का तत्काल इलाज शुरू कराया जा रहा है। - क्या है पेट का टीबी
पेट के टीबी के दौरान मरीजों को सामान्य रूप से होने वाली पेट की समस्याएं ही होती हैं। जैसे बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द होना आदि। अमूमन जब तक पेट की टीबी के बारे में पता चलता है तब तक पेट में गांठे पड़ चुकी होती हैं।
- क्या है हड्डी की टीबी
हड्डी में होने वाले क्षय रोग के कारण हड्डियों में पस पड़ जाता है। जोकि इलाज के बाद भी आसानी से ठीक नहीं हो पाता। शरीर में जगह-जगह फोड़ा-फुंसियां होना भी हड्डी क्षय रोग का लक्षण है।
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टीबी के लक्षण
- दो सप्ताह या उससे ज्यादा दिन तक खांसी रहना।
- खांसी के दौरान मुंह से खून का आना।
- भूख कम लगना और वजन में गिरावट आना।
- ठंड लगकर पसीने के साथ बुखार आना।
- कई लोगों के शरीर में गांठे भी देखने को मिल सकती हैं।
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टीबी से ऐसे करें बचाव
- बचपन में बीसीजी का टीका लगवाकर टीबी से बचा जा सकता है।
- टीबी के मरीजों से दूरी बनाकर रखना क्योंकि यह संक्रमित रोग है।
- टीबी के मरीजों को मास्क पहनकर रखना चाहिए।
- मरीज को सार्वजनिक चीजों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
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जांच के तरीके
- छाती का एक्सरे, बलगम की जांच आदि।
- आधुनिक तकनीक के माध्यम से आइजीएम होमोग्लोबिन जांच कराकर भी टीबी का पता लगाया जा सकता है।
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क्या कहते हैं जिला क्षय रोग अधिकारी
टीबी के मरीज को छिपाकर नहीं रखना चाहिए। टीबी की जांच और इसका इलाज सरकार द्वारा निशुल्क कराया जाता है। साथ ही मरीजों को इलाज चलने तक सरकार द्वारा पांच सौ रुपये भी दिए जाते हैं। मरीज में क्षय रोग की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ विभाग टीम स्वयं ही तत्काल मरीज को दवाई खिलाने के लिए घर जाती है।- डा. राजेश ¨सह, जिला क्षय रोग अधिकारी