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जिलाधिकारी से लगाई ऋण मोचन योजना का लाभ दिलाने की गुहार

बैंकों से ऋण लेने के बाद बैंकों के नोटिस झेल रहे दो किसान ऐसे हैं जिन्होंने ऋण मोचन योजना के तहत ऋण माफी की गुहार लगाई, लेकिन अफसरों ने उन्हें नजर अंदाज कर दिया। गांव दत्तियाना और गांव रुस्तमपुर के किसानों ने जिलाधिकारी को पत्र देकर ऋण माफ कराने की गुहार लगाई है। किसानों की इस मांग पर भाकियू लोकशक्ति ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 07:06 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 07:06 PM (IST)
जिलाधिकारी से लगाई ऋण मोचन योजना का लाभ दिलाने की गुहार
जिलाधिकारी से लगाई ऋण मोचन योजना का लाभ दिलाने की गुहार

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर: प्रदेश सरकार की ऋण मोचन योजना का लाभ नहीं मिल पाने के कारण तहसील क्षेत्र के दो किसानों ने जिलाधिकारी से उनका ऋण माफ कराने की गुहार लगाई है। पात्रता होने के बावजूद योजना का लाभ नहीं मिल पाने पर इन दोनों किसानों ने विभागीय सूचाी जारी होने के बाद भी ऋण माफ किए जाने की गुहार लगाई थी, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें नजर अंदाज कर दिया। भाकियू लोकशक्ति ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि किसानों को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन किया जाएगा।

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ब्रजघाट क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर रुस्तमपुर निवासी लज्जो देवी पत्नी धर्मवीर ¨सह ने बताया कि उसने 29 अक्टूबर 2015 में ¨सडिकेट बैंक की ब्रजघाट शाखा से 1.60 लाख रुपये का ऋण लिया था। उनका का आरोप है कि बैंक के फील्ड ऑफिसर ने धोखा देकर 14 मई 2018 में ऋण जमा करा कर खाता बंद कर दिया। इसके बाद केसीसी खाते में एक लाख रुपये आ गए। इसके बाद वह बैंक से रुपये लेने गई तो उसे रुपये नहीं दिए गए। इस संबंध में उपजिलाधिकारी और जिला कृषि अधिकारी से शिकायत करने पर भी उसकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया कहा तो उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। इसके अलावा गांव दत्तियाना निवासी राकेश कुमार पुत्र बाल मुकंद ने बताया कि उनका पंजाब नेशनल बैंक की दत्तियाना शाखा में खाता है। उन्होंने 85 हजार रुपये का ऋण ले रखा है। ऋण मोचन योजना के तहत कई बार ऋण माफ कराने की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की। अब बैंक भुगतान करने के लिए नोटिस भेज रहा है। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने दोनों किसानों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए प्रशासन से मांग की है। भाकियू पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो संगठन को कड़े निर्णय लेने को मजबूर होगा।


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