हत्या की धमकी, फैसले का दबाव, तरह-तरह के मिले प्रलोभन
जागरण संवाददाता हापुड़ मासूम बेटी की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या और अस्पताल में जिदगी
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
मासूम बेटी की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या और अस्पताल में जिदगी के लिए जंग लड़ रहा नौ वर्षीय बेटा किसी भी मजबूत दिल वाले व्यक्ति को टूटने पर मजबूर कर सकता है। पिछले दो साल से आरोपितों की ओर से मिल रही धमकी और प्रलोभन का बच्चों के माता-पिता के इरादों को तनिक भी डिगा नहीं सका। लेकिन, बेटी के खोने का गम और पुत्र को जीवनभर के लिए मिला दर्द आज भी पीड़ित परिवार के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है।
दो दरिदों को न्यायाधीश द्वारा फांसी की सजा दिए जाने की सूचना मिलने के बाद पीड़ित परिवार के जख्म कुछ हद तक भर गए हैं। लेकिन बच्चों को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने वाले स्वजनों में आज भी गुस्सा है। न्यायाधीश द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद बच्ची की मां की आंख से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनका कहना था कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि मासूम बच्चों के साथ ऐसी घटना हो सकती है। वह विश्वास करके ही बच्चों को घर पर छोड़कर मायके में बड़े बेटे को साथ लेकर गई थी। बेटी को याद करके मां फफक-फफककर रोने लगती है। वहीं बेटी के हाथ पीले करने का सपना संजोए पिता ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे दरिदगी का शिकार हुई बेटी का शव भी उठाना पड़ेगा। पिता ने कहा कि 25 माह 10 दिन चली इस लड़ाई ने परिवार को बहुत दर्द दिया है। आरोपितों की ओर से कई बार धमकी मिलीं और प्रलोभन भी दिए गए, लेकिन न्याय पाने के लिए हौसलों को डिगने नहीं दिया।