दिवाली से पहले ही बिगड़ने लगी शहर की आबोहवा
जागरण संवाददाता हापुड़ लगातार खराब हो रही आबोहवा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को दिवाल
जागरण संवाददाता, हापुड़
लगातार खराब हो रही आबोहवा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को दिवाली से पहले ही खतरनाक गैस का चैंबर बना दिया है। इसका असर हापुड़ में भी दिखाई दे रहा है। शहर के भी हालात पिछले कई दिनों से बदतर होते जा रहे हैं। लोग आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं। जिस प्रकार के हालात बन रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि दिवाली के बाद हालात खतरनाक होंगे। आलम यह है कि मंगलवार की तुलना में बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 75 अंक चढ़कर 178 से 253 तक पहुंच गया। जो अच्छे संकेत नहीं हैं। लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से आमजन का जीवन भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। कामकाज से लेकर सुबह की सैर तक पर प्रदूषण का गहरा असर पड़ा है। शहर की सड़कों से लेकर पॉश कालोनियों की हवा बिगड़ी हुई है। सुबह के समय घरों से निकलने वाले लोग घरों में कैद हो सकते हैं। प्रदूषण में व्याप्त धुंध के कारण बाहर की हवा लोगों को परेशान कर रही है। इसका मुख्य कारण है कि जगह-जगह कूड़ा जलने और सड़कों पर दौड़ते वाहनों के चलते उड़ती धूल और फसल अवशेष जलाने से भी है। दिल्ली रोड पर सीवर लाइन बिछाने के चलते करीब आधा किलोमीटर सड़क पर मिट्टी पड़ी हुई है। जो वाहन चलने पर हवा में उड़ जाती है। इसके चलते वहां से गुजरने वाले दो पहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। -------- अभी कम है असर लगातार बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए ईपीसीए (इनवायर्नमेंट पॉल्यूशन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल अथॉरिटी) द्वारा लागू की गई पाबंदी के बावजूद हालातों में सुधार नहीं हुआ है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) में लगातार बढ़ोत्तरी जारी है। दिवाली से पहले वातावरण में छायी धुंध को देखते हुए इस बार दीपावली के बाद शहर के हालात काफी गंभीर हो सकते हैं। आतिशबाजी हुई तो प्रदूषण कई गुना तक बढ़ जाएगा। ऐसे में हालात सुधरने में कई दिन तक लग सकते हैं। -------- हापुड़ में बढ़ रहा है प्रदूषण क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा एनसीआर के प्रदूषण का स्तर मापकर श्रेणी निर्धारित की है। इसमें प्रदूषण का एक्यूआइ 200 से 300 माइक्रोग्राम होने पर पुअर श्रेणी में आ जाता है। 301 से 400 तक वेरी पुअर श्रेणी में आता है। हालांकि हापुड़ इस श्रेणी में पहुंचने से थोड़ी ही दूर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर बुधवार शाम पांच बजे हापुड़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक पीएम-10 का स्तर 253 अंक दर्ज किया गया। जबकि पीएम 2.5 का स्तर 126 अंक दर्ज किया गया। गंभीर बात यह है कि यह फिलहाल बढ़ रहा है। -------- बोले चिकित्सक..
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में से 60 फीसदी दिल की बीमारी से होती हैं। पीएम 2.5 आकार के सूक्ष्म कण फेफड़ों के रास्ते कई बार दिल की धमनियों तक पहुंचकर अटैक का कारण बनते हैं। प्रदूषण से रक्तचाप भी बढ़ता है। गहरी धुंध से धूप से मिलने वाली विटामिन-डी नहीं मिल पा रही है। जिस कारण हड्डियों में कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाता है। 70 फीसदी लोगों की हड्डियां कमजोर मिलती है। प्रदूषित हवा के साथ रासायनिक कण रक्त में पहुंचकर बोनमेरो को भी बीमार कर सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति में खून संबंधित विकार भी बढ़ा रहे हैं। ---------- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) के आदेश पर प्रदूषण का बढ़ते स्तर को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण पाबंदियां लगाई गई हैं। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए इन नियमों का पालन जरूरी है। प्रदूषण न बढ़े इसके लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।