चीनी के दाम गिरे, मिलों ने किसानों का भुगतान रोका
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : चीनी के दाम गिरने से मिलों को होने वाले नुकसान का दुष्प्रभाव कि
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : चीनी के दाम गिरने से मिलों को होने वाले नुकसान का दुष्प्रभाव किसानों के भुगतान पर दिख रहा है। चीनी के दाम 750 रुपये प्रति ¨क्वटल तक कम आई है। आलम यह है कि ¨सभावली चीनी मिल ने चीनी बेचना बंद कर दिया है। इस कारण किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो पा रहा है। मिल पर किसानों का लगभग 264 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि लगभग 15 लाख ¨क्वटल गन्ना अभी क्षेत्र के खेतों में खड़ा है।
अक्टूबर 2017 में पेराई सत्र की शुरुआत होने के बाद से ही ¨सभावली चीनी मिल समस्याओं और विवादों में घिरती रही है। भुगतान नहीं करने पर शासन ने इस चीनी मिल के क्षेत्र में चल रहे कुछ क्रय केंद्र बंद कर दिए। इसके बाद सीबीआइ, ईडी और आयकर के छापों के कारण मिल प्रबंधन की हालत अधिक खराब हुई। अब पेराई सत्र बंद होने की कगार पर है तो चीनी के दाम घटने से मिल प्रबंधन और किसानों की समस्या और बढ़ गई है। चीनी के दाम 3450 रुपये प्रति ¨क्वटल से गिरकर 2700 रुपये प्रति ¨क्वटल हो गए हैं। घाटे से बचने के लिए मिल प्रबंधन ने चीनी बेचना बंद कर दिया है। इस कारण किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान रुक गया है। इस सत्र में अभी तक किसानों को केवल दिसंबर 2017 तक का ही भुगतान हुआ है। जबकि न्यायालय ने गन्ने की कीमत के खरीदने के 14 दिन के अंदर किसानों को भुगतान करने के आदेश दिए हुए हैं। ¨सभावली चीनी मिल के मुख्य महाप्रबंधक करन ¨सह ने बताया कि चीनी के दाम गिरने से किसानों को भुगतान करने का संकट खड़ा हो गया है। चीनी बेचकर ही मिल किसानों को भुगतान करता है। समिति सचिव राजीव सेठ ने बताया कि ¨सभावली मिल अब तक 453 करोड़ रुपये की कीमत का 1 करोड़ 49 लाख ¨क्वटल गन्ना किसानों से खरीद चुकी है। अभी लगभग 15 लाख ¨क्वटल गन्ना खेतों में खड़ा हुआ है। अभी मिल प्रबंधन पर किसानों का 264 करोड़ रुपये बकाया है। मिल प्रबंधन के पास अभी 7 लाख 84 हजार 424 ¨क्वटल चीनी मौजूद है। अब देखना कि किसानों को भुगतान कैसे हो पाता है।