मनरेगा में धांधली रोकेगा सेक्योर सॉफ्टवेयर
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में होने वाली तमाम धांधली को 'सेक्योर साफ्टवेयर'अब रोक लगाएगा। इसके द्वारा कार्यो का ऑनलाइन इस्टीमेट तैयार किया जाएगा। कार्यो का विवरण क्लिक करते ही धनराशि ऑनलाइन दिखने लगेगी और कार्यो का भुगतान आसानी से किया जाएगा। कार्यदायी संस्था भी अब इसकी स्वीकृति के लिए परेशान नहीं होगी और न ही अधिकारियों के यहां चक्कर लगाएगी। इसके लिए हर अधिकारी का अलग-अलग यू
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर:
महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में होने वाली धांधली पर 'सेक्योर सॉफ्टवेयर' रोक लगाएगा। इसके द्वारा कार्यो का ऑनलाइन एस्टीमेट तैयार किया जाएगा। कार्यों का विवरण क्लिक करते ही धनराशि ऑनलाइन दिखने
लगेगी और कार्यों का भुगतान आसानी से किया जाएगा। कार्यदायी संस्था भी अब इसकी स्वीकृति के लिए परेशान नहीं होगी और न ही अधिकारियों के यहां चक्कर लगाएगी। इसके लिए हर अधिकारी का अलग-अलग यूजर आइडी एवं पासवर्ड होगा।
¨सभावली के एडीओ पंचायत सतीश शर्मा ने बताया कि सॉफ्टवेयर से तकनीकी, प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति करने का समय भी निर्धारित कर दिया गया है।
सक्षम अधिकारियों को समय के अंदर ही तकनीकी और प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति देना अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए ट्रे¨नग कराई जा चुकी है। सेक्योर सॉफ्टवेयर में सारा एस्टीमेट ऑनलाइन हो जाएगा। इसके अलावा सामान की दर भी ऑनलाइन रहेगी और निर्धारित सीमा भी अपलोड रहेगी। जितना काम होगा उतना पैसा दिया जाएगा। एक ही काम के लिए अलग-अलग स्थानों पर बनाए जाने वाले प्राक्कलन में समानता होगी, क्योंकि उच्च स्तर पर इसकी मॉनिट¨रग की जाएगी।
अगर कहीं कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो संबंधित अधिकारी का दायित्व निर्धारित कर कार्रवाई की जाएगी। इस सॉफ्टवेयर से पूरी तरह से धांधली पर पाबंदी लग जाएगी। इससे मनरेगा पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगी।
--जियोग्राफिक इन्फारमेंशन सिस्टम भी होगा लागू
एडीओ पंचायत सतीश शर्मा ने बताया कि यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है। इसकी मदद से लक्ष्य क्षेत्र की मै¨पग की जाती है। इसके बाद प्राप्त डाटा के माध्यम से ऑफिस में बैठे ही उस पूरे क्षेत्र की सटीक जानकारी हासिल की कर ली जाएगी। खासकर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल टाउन प्लानर, मै¨पग में किया जाएगा। आफिस से बैठकर देखा जाएगा कि किस गांव में कितना काम हुआ है। हर ग्राम पंचायतों में हुए कार्यो का आकलन भी किया जाएगा। यह प्रणाली मनरेगा मजदूरों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। अब काम करने के साथ ही मनरेगा मजदूरों को मजदूरी के लिए भटकना नहीं होगा। जितना कार्य करेंगे उतने का भुगतान ऑनलाइन किया जाएगा।