गंगा का जल स्तर बढ़ने से गढ़ खादर क्षेत्र में बाढ़ का खतरा, एसडीएम ने किया निरीक्षण
गंगा का जल स्तर बढ़ने से गढ़ खादर क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के हजारों बीघा जंगल पानी से चौतरफा घिर गए हैं।
ब्रजघाट ( हापुड़) राम मोहन शर्मा। पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश के चलते बिजनौर और हरिद्वार बैराज से पानी छोड़े जाने से क्षेत्र में गंगा नदी लगातार उफान पर है। शुक्रवार दोपहर ब्रजघाट पर गंगा खतरे के निशान से महज 73 सेंटीमीटर नीचे रह गई है। एसडीएम ने तहसीलदार के साथ मिलकर खादर क्षेत्र के गांवों का भ्रमण किया। लोगों से संपर्क कर जलस्तर पर जानकारी कर सूचना देने की अपील की है। साथ ही सभी बाढ़ राहत चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को सुरक्षा के कड़े निर्देश दिए हैं।
गंगा का जल स्तर बढ़ने से गढ़ खादर क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के हजारों बीघा जंगल पानी से चौतरफा घिर गए हैं। शुक्रवार को ब्रजघाट गंगा का जलस्तर 198.33 मीटर के निशान को पार कर शुक्रवार शाम 198.60 मीटर पर पहुंच चुका है जो खतरे के निशान 199.33 से महज 73 सेंटीमीटर नीचे रह गया है। गंगा के उफान पर पहुंचने से खादर क्षेत्र में गड़ावली, लठीरा, नयाबांस, आरकपुर, बख्तावरपुर, रामपुर न्यामतपुर, काकाठेर मंढैया, कुदैनी वाली मंढैया, रामसिंह मंढैया समेत 15 से गांवों के जंगल और उसमें खड़ी फसलें चौतरफा पानी से घिर गई हैं। वहीं जंगल से लेकर निचले रास्तों पर काफी मात्रा में पानी भरने से हजारों ग्रामीणों का आवागमन भी प्रभावित हो रहा है।
आज खतरे के निशान को पार कर सकती है गंगा
हरिद्वार, टिहरी और बिजनौर बैराज से शुक्रवार दोपहर एक लाख 95 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसके आने से शनिवार दोपहर तक गंगा खतरे के निशान को पार कर सकती है। सिंचाई विभाग कंट्रोल रूम के सूत्रों का कहना है कि पहाड़ों पर बारिश होने से बांधों में पानी की मात्रा काफी बढ़ी है, जिसके मद्देनजर शुक्रवार की दोपहर को हरिद्वार से एक लाख 32 हजार क्यूसेक, बिजनौर बैराज से 63 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो शनिवार दोपहर तक ब्रजघाट गंगा में पहुंच जाएगा।
तहसील प्रशासन सतर्क
तहसील प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। बाढ़ राहत चौकियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया। एसडीएम विजय वर्धन तोमर और तहसीलदार सुरेंद्र कुमार ने बाढ़ संभावित गांवों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने लेखपालों समेत राजस्व टीम को बाढ़ संभावित गांवों की स्थिति पर बारीकी से नजर रखकर इसकी रिपोर्ट भेजने की हिदायत दी है। एसडीएम ने बाढ़ संभावित गांवों में रहने वालों को भी पूरी तरह चौकसी बरतकर सतर्क रहने का निर्देश दिया है। वहीं जरूरत पड़ने पर लोगों को आवागमन के लिए नाव मुहैया कराने का भरोसा भी दिया है।
किसानों को लाखों रुपये की क्षति
निचले जंगल में जलभराव होने से हजारों बीघा पालेज समेत हरी सब्जी की खेती चौपट हुई है। वहीं किसानों को हरे चारे का संकट रुला रहा है। जलभराव से लाखों रुपये की क्षति की आशंका है।
बाढ़ राहत चौकियां और शामिल गांव
आलमपुर-भगवंतपुर
- एदलपुर, प्रसादीपुर, हकीमपुर गांवड़ी, कुतुबपुर, जमालपुर, खानपुर, माकनपुर, सैदपुर, मुकीमपुर, झड़ीना।
- अब्दुल्लापुर- इनायतपुर, कोथला खादर, अब्दुल्लापुर।
- नक्का कुआं गढ़- रामपुर, न्यामतपुर, मुहम्मदपुर, शाकरपुर।
- मीरा रेती गढ़- लठीरा, गढ़ खादर, गड़ावली, नयाबांस, बख्तावरपुर।
ब्रजघाट
- आलमगीरपुर, चित्तौड़ा मोहिउद्दीनपुर, मुहम्मदपुर खादर, सालाबाद, बागड़पुर, पलवाड़ा, आलमनगर खादर, नवादा खुर्द खादर।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम विजय वर्धन तोमर ने बताया कि गंगा के बढ़ते जलस्तर को लेकर गांवों का दौरा किया गया है, जंगल में अभी जल भराव की स्थिति है।ग्रामीणों को जलस्तर पर नजर रखते हुए अधिकारियों को सूचना देने के लिए कहा गया है। बाढ़ राहत चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को अलर्ट कर कर दिया गया है।