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मूलभूत सुविधाओं से वंचित है पिलखुवा का सिखेड़ा गांव

सिखेड़ा गांव में भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने रात्रि विश्राम किया था। इसी गांव से अन्नपूर्णा योजना की शुरूआत की थी। वर्तमान में यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गंदगी के चलते तालाब के नामोनिशान खत्म हो गए। करीब सवा करोड़ की लागत से बनाई गई पानी की टंकी शोपिस बनी है। सामुदायिक केंद्र एवं अस्पताल नशेडियों के अड्ड े बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 06:20 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 06:20 PM (IST)
मूलभूत सुविधाओं से वंचित है पिलखुवा का सिखेड़ा गांव
मूलभूत सुविधाओं से वंचित है पिलखुवा का सिखेड़ा गांव

संवाद सहयोगी, पिलखुवा: सिखेड़ा गांव में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने रात्रि विश्राम किया था। इसी गांव से अन्नपूर्णा योजना की शुरुआत की थी। वर्तमान में यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गंदगी के चलते तालाब के नामोनिशान खत्म हो गए। करीब सवा करोड़ की लागत से बनाई गई पानी की टंकी शोपीस बनी है। सामुदायिक केंद्र एवं अस्पताल नशेडि़यों के अड्डे बने हैं। ग्रामीणों की मानें तो प्रदेश एवं केंद्र में बदलते हुक्मरान के चलते सरकारी मशीनरी ने भी गांव की ओर ध्यान देना बंद कर दिया है। आज तक किसी अधिकारी ने गांव में जाकर करोड़ों की लागत से हुए निर्माण कार्यों के रखरखाव की ओर देखना गंवारा नहीं समझा हैं।

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एतिहासिक विशेषता गांव में स्थित देवी का मंदिर दूरदराज तक प्रसिद्ध है। नवरात्र के दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में आते है। गांव में सभी बिरादियों के लोग है। दो सौ वर्ष पहले यह गांव खेड़ा में शामिल था। कुछ ठाकुर बिरादरी के लोगों यहां आकर बसने के बाद यह गांव खेड़ा से अलग हुआ था।

सामुदायिक केंद्र है या नशेडि़यों का अड्डा

23 सितंबर वर्ष 2001 में सिखेड़ा गांव में सामुदायिक केंद्र का निर्माण किया गया था। उस वक्त सांसद रहे रमेश चंद तोमर एवं विधायक नरेंद्र ¨सह शिशौदिया ने केंद्र का शिलान्यास किया था। बताया जाता है कि केंद्र में मात्र एक या दो शादी समारोह कार्यक्रम हुए थे। इसके बाद से यह केंद्र खंडहर बना है। अब जिसमें सांप, नवले, कुत्ते रहते हैं। केंद्र में खाली शराब की बोतल, सिगरेट आदि दर्शाती है कि यह सामुदायिक केंद्र बस कागजों में रह गया। गांव के बुजुर्ग बताते है कि करीब तीन करोड़ की लागत से सामुदायिक केंद्र को बनाया गया था। जो वर्तमान नशेड़ियों को अड्डा बना है। यहीं हालात गांव में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। देखभाल नहीं होने के कारण बि¨ल्डग जर्जर हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि शुरूआत में चिकित्सक आए थे, लेकिन पिछले पांच साल से चिकित्सक का अता पता नहीं है। गंदगी ने किया तालाब का नामोनिशान खत्म

गांव में तीन तालाब है। अंबेडकर बस्ती में स्थित तालाब गंदगी से अटा पड़ा है। गांव का अधिकांश कूड़ा इस तालाब में पड़ता है। तालाब की सफाई कराने पर आज तक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। खास बात यह है कि गर्मी शुरू होते ही जिला स्तर पर तालाब, जोहड़ आदि को साफ करने के साथ पुन: जीवित करने के निर्देश दिए जाते है। सिखेड़ा गांव के तालाब को देखते हुए यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि आदेश केवल हवा में होते है। अधिकारी एसी आफिस में बैठकर कागजों में ही खानापूर्ति करते है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब वर्षों खराब है। कई बार शिकायत करने के बावजूद अधिकारियों ने मौके पर आकर निरीक्षण करना गंवारा नहीं समझा है। सवा करोड़ की लागत से बनी टंकी शोपिसगांव में करीब सवा करोड़ की लागत से पानी की टंकी का निर्माण हुआ था। कुछ दिनों बाद पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। पाइप लाइन दुरूस्त कराने की बजाय टंकी से ही पानी की सप्लाई बंद कर दी गई। इस परिसर में टंकी लगी है। अब वहां लोगों की बकरी बंधती है। नलकूप संचालक के कमरे में ताला लटका रहता है। परिसर में झाडियां उग गई है। जबकि ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे है। अंबेडकर बस्ती में दो हैंडपंप लगे है। जिनमें से एक हैंडपंप पिछले काफी समय से खराब पड़ा है। मात्र एक ही हैंडपंप के जरिए ग्रामीण पानी की व्यवस्था कर रहे है। दिन निकलते ही हैंडपंप पर लोगों की कतार लग जाती है। तपती गर्मी में महिलाएं हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर है। सिखेड़ा का आंकड़ा

आबादी 11000

वोटर 5500

साक्षरता 85 प्रतिशत

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गांव में पानी की टंकी सही नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। शिकायत के बावजूद अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे है।

--ब्रहमगिरि महाराज- गांव में स्थित तालाबों का नामोनिशान खत्म हो चुका है। गंदगी से तालाब अटे पड़े है। इसके चलते गांव का भूजल स्तर पर काफी कम हो चुका है।

--नेहा देवी -सामुदायिक केंद्र का निर्माण वर्ष 2001 में हुआ था। केंद्र की ओर आवागमन के रास्ते बेहतर नहीं होने के कारण ग्रामीण उसका इस्तेमाल नहीं करते है।-

-मोहम्मद इरफान-गांव में समस्याओं का अंबार है। अधिकांश हैंडपंप खराब होने के कारण पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ता है। सही हैंडपंप पर सुबह से लाइन लग जाती है।-

-हरचरण ¨सह- अंबेडकर और बाल्मीकि बस्ती में पानी को लेकर ज्यादा किल्लत है। हैंडपंप सही होने के कारण परेशानी हो रही है। कई बार हैंडपंप सही कराने की मांग कर चुके है।

--विकास तोमर

-गांव में उच्च शिक्षा केंद्र नहीं होने के कारण बच्चों को शहर में जाना पड़ता है। आदर्श गांव घोषित के दौरान गांव में डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए कहां गया था। --सुशील कुमार- शादी एवं अन्य छोटे समारोह के लिए बनाया गया सामुदायिक केंद्र नशेड़ियों का अड्डा बना है। दिन छिपने के बाद ग्रामीण केंद्र के पास गुजरते भी नहीं है। --विजय पाल -गांव में सबसे बड़ी परेशानी पानी की बनी है। टंकी से जलापूर्ति बंद होने के साथ अधिकांश हैंडपंप खराब है। तालाब दूषित होने से जलस्तर घट चुका है।

--चंद्रपाल ¨सह ---कूड़ा डालकर तालाब को गंदा किया जाता है। कई बार रोका भी गया है। क्षतिग्रस्त पानी पाइप लाइन सही कराने के दौरान ग्रामीण विरोध करते है। हैंडपंप करीब-करीब सभी सही हो चुके हैं। गांव में अधिक से अधिक विकास कार्य हो सके इसका पूरा प्रयास है।

--शबाना चौधरी प्रधान -करोड़ों की लागत से बने सामुदायिक केंद्र एवं अस्पताल की जांच कराई जाएगी और सही कराने के साथ ग्रामीणों को सुविधा देने के मकसद से कदम उठाया जाएगा।

--हनुमान प्रसाद उपजिलाधिकारी 


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