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सूचना का अधिकार ... कैसे बुझेगी आग, संसाधनों से जूझ रहा है फायर विभाग

आग बुझाने वाला फायर ब्रिगेड विभाग खुद ही समस्याओं से जूझ रहा है। 16 लाख की आबादी वाले शहर में केवल 29 फायर कर्मचारी हैं जबकि 42 कर्मचारियों की जरूरत है। पूरे जिले में आग बुझाने के लिए केवल पांच गाड़ियां हैं। आग बुझाने के समय एक गाड़ी पर सात से आठ कर्मचारियों को होना चाहिए। जबकि इस समय एक फायर ब्रिगेड गाड़ी पर तीन से चार कर्मचारी ही होते हैं। जबकि दमकल विभाग ने पिछले तीन सालों में 23 मनुष्यों की जान

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 06:26 AM (IST)
सूचना का अधिकार ...
कैसे बुझेगी आग, संसाधनों से जूझ रहा है फायर विभाग
सूचना का अधिकार ... कैसे बुझेगी आग, संसाधनों से जूझ रहा है फायर विभाग

जागरण संवाददाता, हापुड़ : आग बुझाने वाला फायर ब्रिगेड विभाग खुद ही समस्याओं से जूझ रहा है। 16 लाख की आबादी वाले शहर में केवल 29 फायर कर्मचारी हैं। हालांकि 42 कर्मचारियों की जरूरत है। पूरे जिले में आग बुझाने के लिए केवल पांच गाड़ियां हैं। आग बुझाने के समय एक गाड़ी पर सात से आठ कर्मचारियों को होना चाहिए। जबकि इस समय एक फायर ब्रिगेड गाड़ी पर तीन से चार कर्मचारी ही होते हैं, जबकि दमकल विभाग ने पिछले तीन सालों में 23 मनुष्यों की जान और 118 करोड़ 44 लाख 14 हजार 785 रुपये का नुकसान बचाया।

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गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। रोजाना आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। दमकल कर्मी एक घटना पर पहुंचते हैं तो दूसरी घटना की सूचना मिल जा रही है। सबसे अधिक आग लगने की घटनाएं गेहूं के खेतों में मिल रही हैं। हल्की सी आग कब भयानक रूप धारण कर ले, कुछ कहा नहीं जा सकता। आग बुझाने के लिए दमकल विभाग के मौजूदा कर्मचारी अधूरे संसाधनों से ही आग के मैदान में जंग लड़ रहे हैं। सूचना का अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के मुताबिक किसी बड़ी आग पर काबू पाने में फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों की सांस फूल जाती है। फायर कर्मचारियों के पास संसाधन ही नहीं हैं, जिससे पहनकर वह आग बुझाने में जुट सकें। यही नहीं विभाग मैन पॉवर यानि स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है। विभाग का रिकॉर्ड बताता है कि उन्होंने किस कदर जान पर खेल मनुष्य, पशुओं के अलावा माल की हानि होने से भी बचाई है। इन संसाधनों की कमी

फायर ब्रिगेड के पास हाइड्रोलिक मशीन नहीं है। किसी बड़ी इमारत में लगती है तो बुझाने के लिए गाजियाबाद से मशीन मंगवानी पड़ती है। अग्निरोधक सूट काफी पुराने हो चुके हैं। स्मोक मास्क व दस्ताने भी कर्मचारियों की तुलना में कम हैं। हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर में स्थायी स्टेशन हैं। पिलखुवा में स्थाई स्टेशन है। हापुड़ और पिलखुवा में 4500 लीटर का टैंकर है। गढ़मुक्तेश्वर में 2500 लीटर का टैंकर है। हापुड़ के लिए दो और गढ़मुक्तेश्वर के लिए एक टैंकर की मांग शासन को भेजी जा चुकी है, जबकि हापुड़ और गढ़ में 400 लीटर का एक-एक मिनी वॉटर टैंकर है। कितने पद खाली पोस्ट नियुक्त

मुख्य अग्निशमन अधिकारी का पद खाली पड़ा है। शामली के मुख्य अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा के पास अतिरिक्त प्रभार है। स्टेशन ऑफिसर के दो पद रिक्त हैं। इसके अलावा हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर में 21-21 सिपाही होने चाहिए, लेकिन हापुड़ में 19 और गढ़मुक्तेश्वर में महज 10 सिपाही हैं। आग को लेकर संस्थान भी हैं लापरवाह

इतनी बड़ी आबादी वाले जिले में केवल 20 से 25 प्रतिशत संस्थानों ने ही फायर ब्रिगेड से एनओसी ली है। इनमें औद्योगिक इकाईयां, शिक्षण संस्थान और अस्पताल भी शामिल हैं। जबकि जिले में सैंकड़ों छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाई, सैकड़ों शिक्षण संस्थान और दर्जनों बड़े अस्पताल व अन्य वाणिज्यिक संस्थान हैं। इससे स्पष्ट है कि जिले में विभिन्न संस्थान बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं।

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पिछले वर्षों में विभाग द्वारा की गई कार्रवाई

वर्ष आग क्षति रुपये में बचत रुपये में मनुष्य मरे पशु मरे मनुष्य बचाए पशु बचाए

2016 155 24051900 276126600 00 00 18 00

2017 183 50772500 161074875 00 00 01 01

2018 228 60094700 747213300 01 05 04 00

कुल योग 566 134919100 1184414775 01 05 23 01


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