प्लान से संबंधित: विश्व रक्तदाता दिवस : जब-जब पड़ी जरूरत, रक्तदान कर बचाई जान
रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा जाता है। क्योंकि जरूरत के समय किसी को रक्त देकर उसकी जान बचाना बहुत बड़ा कार्य है। आज के समय में लोगों को तमाम प्रकार की बीमारियों के उपचार के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए रक्तदान करने वालों की समाज को बहुत अधिक जरूरत है। यह रक्तदाता जहां लोगों को रक्तदान करते हैं। वहीं दूसरों को भी तमाम प्रकार से रक्तदान करने के लिए जागरूक करते हैं। जिससे कि जरूरत के समय लोगों को रक्त की कमी का संकट न झेलना पड़े। नगर में भी कई रक्तदाताओं ने रक्तदान कर लोगों के जीवन को बचाने का कार्य किया है। ऐसे ही रक्तदाताओं से
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा जाता है। जरूरत के समय किसी को रक्त देकर उसकी जान बचाना बहुत बड़ा कार्य है। नगर में कई रक्तदाताओं ने रक्तदान कर लोगों के जीवन को बचाने का कार्य किया है। ऐसे ही रक्तदाताओं से संवाददाता शुभम गोयल ने बातचीत की। पेश है एक रिपोर्ट --
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चार पुत्रों की बुजुर्ग मां की बचाई जान --
नगर के विवेक विहार कालोनी में रहने वाले संजय त्यागी देवनंदिनी अस्पताल में मेडिकल स्टोर के संचालक हैं। संजय त्यागी वर्ष 2000 से लेकर अब तक करीब 25 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। संजय बताते हैं कि रक्तदान करने से बहुत से लोग बचते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण भी मुझे याद है। एक गांव निवासी बुजुर्ग महिला के उपचार के लिए खून की आवश्यकता थी। उनके चार पुत्र होने के बावजूद किसी ने भी उन्हें खून तक नहीं दिया। इन्होंने बुजुर्ग महिला को खून देकर उसकी जान बचाई। बाद में बुजुर्ग महिला ने उनका शुक्रिया भी अदा किया।
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नवजात की बचा चुके हैं जान -
बाबूगढ़ छावनी निवासी कुलदीप शर्मा पेशे से शिक्षक हैं। कुलदीप के अनुसार यह 20 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। इनका ब्लड ग्रुप ए- नेगेटिव है। इनका ब्लड ग्रुप बहुत कम लोगों में मिलता है। ऐसे लोगों की रक्त के माध्यम से मदद करने के लिए इन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी ब्लड बैंक में लिखवाया हुआ है। कुलदीप के अनुसार इन्होंने अपने रक्त से तीन दिन के नवजात की जान भी बचाई है। यहां तक कि एक गर्भवती की जान बचाने के लिए रात्रि में करीब एक बजे जाकर अस्पताल में रक्तदान किया था।
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रक्तदान करने के लिए तोड़ना पड़ा था व्रत --
नगर के मोहल्ला जवाहर गंज निवासी सुधीर अग्रवाल पेशे से व्यापारी हैं। सुधीर के अनुसार इन्होंने वर्ष 1994 से रक्तदान प्रारंभ किया था और अब तक 56 बार रक्तदान कर चुके हैं। यही कारण है कि इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। इनका ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव है। करीब सात साल पहले यह दिल्ली के एक अस्पताल में हार्ट के मरीज को रक्तदान करने गए थे। उस समय नवरात्रि के चलते इनका व्रत था, लेकिन रक्तदान करने के लिए चिकित्सकों ने इन्हें व्रत खोलने को कहा। मजबूरी में इन्हें लहसुन का खाना खाकर व्रत खोलना पड़ा।
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सैनिकों के लिए करते हैं रक्तदान -
मोहल्ला नारायण गंज निवासी अरुण अग्रवाल 24 बार रक्तदान कर चुके हैं। इनका ब्लड ग्रुप ओ-पॉजिटिव है। इन्हें जब भी मौका मिलता है शिविर में जाकर रक्तदान करते हैं। यह लोगों की मदद करने के लिए जनपद के अलावा गाजियाबाद और मेरठ तक जाकर रक्तदान कर चुके हैं।
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साल में एक बार जरूर करते हैं रक्तदान -
इंद्रलोक कालोनी निवासी मनीष गोयल साल में एक बार रक्तदान अवश्य करते हैं। इनकी उम्र अब 34 वर्ष हो चुकी है और यह लगभग आठ बार रक्तदान कई माध्यम से कर चुके हैं। मनीष और उनसे जुड़े करीब 40 लोगों ने एक वाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ है। किसी व्यक्ति को ब्लड की जरूरत होती है तो यह इसी ग्रुप के माध्यम से एक-दूसरे से संपर्क करते हैं।
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रक्तदान से शरीर पर नहीं पड़ता कोई बुरा असर -
देवनंदिनी ब्लड बैंक के संचालक डॉ. शिवकुमार बताते हैं कि रक्तदान करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। यह बताते हैं कि मात्र 24 घंटे में नए रक्त का गठन, रक्त की पूर्ति कर देता है। रक्तदान से हार्ट अटैक व कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है। यहां तक कि नया रक्त बनने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। यह बताते हैं कि 18 से 60 वर्ष की आयु, 45 किलोग्राम से अधिक शरीर का वजन और 12.5 जीएम से ज्यादा हिमोग्लोबिन का व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।