उत्तर प्रदेश में हत्या, दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की जांच में आएगी तेजी
हत्या दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के मामले होने वाली डीएनए की जांच जल्द ही पड़ोसी जनपद गाजियाबाद के निवाड़ी स्थित फॉरेंसिक लैब में हो सकेगी।
हापुड़ [गौरव भारद्वाज]। अपराध की गुत्थी सुलझाने और साक्ष्य के लिए पुलिस फॉरेंसिक जांच पर जोर देती है। जांच ही लंबित हो जाए तो मामले का निस्तारण होने में परेशानी होती है। इससे न्यायालयों में लंबित पड़े मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हत्या, दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के मामले होने वाली डीएनए की जांच जल्द ही पड़ोसी जनपद गाजियाबाद के निवाड़ी स्थित फॉरेंसिक लैब में हो सकेगी। डीएनए की लैब के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। शासन से अनुमति मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा।
जब भी कोई वारदात होती है तो उसके सभी पहलुओं की जांच करने में फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट सबसे ज्यादा मददगार होती है। गवाह के साथ-साथ सबूत एकत्र किए जाते हैं। जिनके आधार पर न्यायालयों में मामले निर्धारित होते हैं। अब तक फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट न मिल पाने के चलते हजारों केस विभिन्न न्यायालयों में लंबित पड़े हैं। कई बार लैब में जांच रिपोर्ट के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है, तो कई बार पुलिस जांच रिपोर्ट को लैब से लेने नहीं जाती है। आलम यह है कि लखनऊ और आगरा की फॉरेंसिक लैब में 100 से अधिक मामले जांच के लिए लंबित हैं।
हालांकि पिछले वर्ष डीजीपी ने पड़ोसी जनपद गाजियाबाद के निवाड़ी में विधि विज्ञान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया था। इस लैब में डीएनए को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की जांच होती हैं। जिनकी रिपोर्ट एक माह के भीतर मिल रही हैं। यहां गाड़ियों के रेस्टोरेशन की रिपोर्ट 24 घंटों के भीतर दी जा रही है। यानि किसी वाहन के पकड़े जाने पर उसके असली चेचिस नंबर का पता चलता है। निवाड़ी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला के उपनिदेशक सुधीर कुमार ने बताया कि लैब में डीएनए की जांच के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। शासन से अनुमति मिलती है तो लैब की स्थापना के बाद एक माह के भीतर डीएनए की रिपोर्ट मिल जाएगी। फिलहाल डीएनए की जांच के लिए नमूनों को लखनऊ भेजा जाता है।
हत्या, दुष्कर्म के मामलों में अहम होती डीएनए रिपोर्ट
लैब के उप निदेशक सुधीर कुमार ने बताया कि डीएनए की रिपोर्ट हत्या और दुष्कर्म के मामलों में अहम होती है। कई बार अज्ञात शव मिलता है। जिसकी शिनाख्त लोग अपने सगे संबंधित के रूप में करते हैं। उनके दावों की जांच के लिए शव के डीएनए और उसके माता-पिता या बच्चों के डीएनए का मिलान किया जाता है।
नौ जिलों की निवाड़ी स्थित लैब में हो रही है जांच
उप निदेशक सुधीर कुमार ने बताया कि उनकी लैब में मेरठ जोन के नौ जिलों की जांच रिपोर्ट की जा रही है। इनमें गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बागपत जनपद शामिल हैं। लैब में जनपद हापुड़ के 100 से अधिक मामले लंबित पड़े हैं।
इन नमूनों की हो रही है जांच
बिसरा, हैंडराइटिंग, फिजिकल मैचिंग, मोबाइल, ई-मेल, रसायन में एनडीपीएस के मामले, बायोलॉजी में यूरीन, सीमेन, स्लाइडस, वाहनों का रेस्टोरेशन। वाहनों का रेस्टोरेशन तत्काल किया जा रहा है। जबकि अन्य नमूनों की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर की जा रही है।
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