Move to Jagran APP

पीपीई किट तो बन रही है, लेकिन गुणवत्ता जांच के लिए जनपद में व्यवस्था नहीं

हैंडलूम नगरी पिलखुवा में कई फैक्ट्रियों में बन रही पीपीई किट। मानकों की हो रही अनदेखी बेखबर स्वास्थ्य विभाग के अफसर।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 09:51 AM (IST)
पीपीई किट तो बन रही है, लेकिन गुणवत्ता जांच के लिए जनपद में व्यवस्था नहीं
पीपीई किट तो बन रही है, लेकिन गुणवत्ता जांच के लिए जनपद में व्यवस्था नहीं

पिलखुवा, संजीव वर्मा। कोरोना संकट काल में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट) किट की उपयोगिता बढ़ी है। सरकारी अस्पताल हो या निजी नर्सिंग होम हर जगह मरीजों की देखभाल करने वाले चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी खुद को कोराेना संक्रमण से बचाने के लिए पीपीई किट पहनकर कार्य कर रहे हैं। लेकिन, चंद लोग निजी स्वार्थ के कारण मानकों को ताक पर रखकर पीपीई किट तैयार रहे हैं। इन फैक्ट्रियों में पहले रेडीमेंट कपड़े तैयार किए जाते थे। अब इन मशीनों पर पीपीई किट तैयार की जा रही है।

loksabha election banner

पिलखुवा में लगभग पांच से सात फैक्ट्रियों में पीपीई किट बनाई जा रही है। इन फैक्ट्रियों में पहले रेडीमेंट कपड़े तैयार किए जाते थे। कोरोना काल में पीपीई किट की डिमांड बढ़ी तो फैक्टरी स्वामियों ने रेडीमेट कपड़े तैयार करने की बजाय पीपीई किट बनानी शुरू कर दी। पीपीई किट तैयार रहे फैक्ट्री स्वामियों में अधिकतर अनुभवहीन हैं। नियमानुसार पीपीई निर्माण में डबल चिप प्रयोग होना चाहिए। लेकिन, पिलखुवा में कई फैक्टरी में सिंगल जिप की किट तैयार की जा रही है। एक फैक्टरी मालिक से जब इस बावत बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पीपीई किट में सिंगल जिप लगती है।

इस बात से पता चलता है कि फैक्टरी मालिक को पीपीई किट को लेकर जानकारी का अभाव हैं। खास बात यह है कि पीपीई किट बनाए जाने की अनुमति के संबंध में उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। मशीनों के आसपास बिखरा पीपीई किट के कपड़े को देखते अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीपीई किट तैयार करते समय किस तरह नियमों की अनदेखी की जा रही है। ऐसे में सबसे खास बात यह है कि जनपद में पीपीई किट बनाई जा रही है।

अधिकारियों को ना इसकी कोई खास जानकारी है और ना ही कोई इनकी गुणवत्ता को लेकर जांच करने वाला हैं। घर-परिवार को छोड़कर कोरोना संक्रमित का इलाज कर रहे चिकित्सकों के प्रति अधिकारियों की यह अनदेखी कोरोना से चल रही जंग में बड़ा सवाल खड़ा कर सकती है।

हो रही नियमों की अनदेखी-

पीपीई किट बनाने के लिए कारखाना स्वामी को कपड़ा मंत्रालय की एजेंसी सिटरा यानि साउथ इंडियन टैक्सटाइल एंड रिसर्च से मंजूरी लेनी होगी। किसी भी कंपनी द्वारा तैयार किट का पहले प्रयोगशाला में टेस्ट होगा। देश में दो प्रयोगाशालाएं अधिकृत हैं। किट के टेस्ट में पास होने के बाद मंत्रालय कंपनी को प्रमाण पत्र देगा।

यह प्रमाण पत्र निर्धारित समय के लिए ही मान्य होगा। जो पीपीई किट बनेगी उस किट पर निर्माता कंपनी का स्टीकर लगेगा। स्याही से उस पर प्रोडक्ट का नाम, टेस्ट प्रक्रिया, स्टैंडर्ड टेस्ट, बैच नंबर, ऑर्डर डिटेल सहित सारी जानकारी पीपीई किट पर लिखी होगी। कपड़ा लेमिनेटेड यानी वाटरप्रूफ एवं अल्कोहल प्रूफ होना चाहिए। यूटीआर नंबर होना चाहिए। लेकिन, पिलखुवा के अधिकतर कारखाना स्वामी पीपीई किट तैयार करते समय इनमें से कई नियमों की अनदेखी की जा रही है। अधिकांश फैक्टरी स्वामी यह तक नहीं पता पाए कि कपड़ा कहां से आ रहा है और किट कहां बेची जा रही हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी-

- पीपीई किट खरीदते समय उसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है। किसी फैक्ट्री में तैयार की जा रही है। वहां जांच करने का जिम्मा उनके विभाग का नहीं है। -- डॉ. रेखा शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी

- पिलखुवा वैसे तो सील है। लेकिन, यदि कहीं पीपीई किट बनाई जा रही है तो इस बावत जानकारी करके संबंधित विभाग की टीम के साथ गुणवत्ता जांच की जाएगी। -- विशाल यादव, उपजिलाधिकारी

जरूरी बातें...

- सिलाई पर लगने वाला टेप बहुत उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए।

- किट की सिलाई व निर्माण के समय सफाई एवं अन्य मानकों का ध्यान रखना जरूरी है।

- काम कर रहे लोगों की स्क्रीनिंग होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.