बारिश के पानी में डूब गई धान की फसल, किसान परेशान
जागरण संवाददाता हापुड़/धौलाना/गढ़ रविवार को हुई बारिश के कारण हापुड़ गढ़मुक्ते
जागरण संवाददाता, हापुड़/धौलाना/गढ़ :
रविवार को हुई बारिश के कारण हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर और धौलाना तहसील क्षेत्र के ज्यादातर गांवों में धान की पिछेती फसल पूरी तरह चौपट हो गई। गांव शौलाना, धौलाना, सबली, रामपुर, बनखंडा, वझीलपुर, ककराना, बझैडा खुर्द व देहरा सहित अन्य गांवों में धान की फसल पक चुकी है और फसल पानी से लबालब खेत में गिरी पड़ी है। वहीं बाजार में धान के गिरे भाव से किसान के सामने आर्थिक हालात को लेकर चुनौती खड़ी हो गई है। किसानों के अनुसार बची हुई धान की फसल अब शायद मवेशियों के खिलाने के ही काम ही आएगी, क्योंकि उपज बेचना अब किसानों के लिए सपना ही रह गया है।
भारतीय किसान यूनियन भानु गुट ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बेमौसम बरसात से फसल को हुए नुकसान का आकलन के लिए राजस्व विभाग की टीम क्षेत्र के प्रभावित गांवों का दौरा करें। ग्रामीणों के अनुसार पिछले हफ्ते बरसात के कारण हुए नुकसान से किसान अभी उबर भी नहीं पाया था कि रविवार को हुई बारिश ने एक बार फिर किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। बारिश के कारण अब किसानों को बैंक से लिए कर्ज की वसूली का डर सताने लगा है। क्योंकि कई इलाको में धान की फसल संपूर्ण रूप से तबाह हो चुकी हैं। उपकृषि निदेशक डॉ. वीबी द्विवेदी ने बताया कि जिले में लगभग 80 से 90 फीसदी धान की फसल कट चुकी है। जो फसल बची है वह भी ज्यादातर कट चुकी है। नुकसान का सही आकलन कराया जाएगा एक सप्ताह पहले हुई बारिश से हुए फसलों को नुकसान का आकलन कराया जा रहा है।
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मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पहले ही किसान महंगाई से परेशान है और उपर से डीजल के महंगे दामों के कारण किसानों को खेती करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में बारिश ने किसानों को आर्थिक चोट पहुंचाई है।
ललित राणा, प्रवक्ता, किसान मजदूर संगठन
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इस बेमौसम की बरसात नहीं बल्कि किसानों के लिए प्राकृतिक आपदा है, जो किसानों को आगे चलकर भी सताने वाली है। ज्यदातर किसानों ने फसल के लिए कर्ज लिया था और फसल के चौपट होने से किसान को आगामी फसल के लिए भी ऋण लेना पड़ेगा।
रामदत्त शर्मा, किसान
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रविवार को जिस तरह पकी फसल पर मौसम का कहर टूटा है यह किसानों के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है। किसान छह महीने खेतों में मेहनत करता है और जब पकी हुई फसल पर ऐसा कहर टूटता है तो उसे अपने परिवार के भरण पोषण की चिता होने लगती है।
सतीश शिशौदिया, किसान
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सरकार को चाहिए कि वह किसानों का कर्ज माफ करें और बिजली के बिलों में भी किसान को राहत दी जाए। मौसम की मार से किसान पूरी तरह टूट चुका है और उसके लिए आजीविका का संकट हो गया है।
जयभगवान शिशौदिया, किसान
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