करोड़ों खर्च होने के बाद भी सड़क पर लग रही है धान की मंडी
राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे करोड़ों रुपये की लागत से मंडी का निर्माण होने के बाद भी सड़क किनारे चल रही धान की मंडी ने लोगों को रुला दिया है। सड़क पर जाम लगना आम समस्या बन गई है। जिससे छात्रों तक को समय पर स्कूल कॉलेज पहुंचना चुनौती बना। दिनभर उड़ने वाले धूल के गुबार से बीमारी फैल रही है। यहां तक कि श्वांस रोगियों की जान पर बनी है।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे करोड़ों रुपये की लागत से मंडी का निर्माण होने के बाद भी सड़क किनारे चल रही धान की मंडी ने लोगों को रुला दिया है। सड़क पर जाम लगना आम समस्या बन गई है। जिससे छात्रों तक को समय पर स्कूल कॉलेज पहुंचना चुनौती बना हुआ है। दिनभर उड़ने वाले धूल के गुबार से बीमारी फैल रही है। यहां तक कि श्वांस रोगियों की जान पर बनी है।
गौरतलब है कि गढ़ की धान मंडी प्रदेश की प्रसिद्ध धान मंडियों में गिनी जाती है। वर्ष 2005 में मंडी समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग-9 किनारे 72 बीघा भूमि का अधिग्रहण कर मंडी का निर्माण कराया था, लेकिन किसानों की अधिग्रहित कृषि भूमि का मुआवजा मात्र 74 रुपये वर्ग मीटर निर्धारित किया था। जिसे किसानों ने लेने से इंकार कर दिया था। करोड़ों रुपये की लागत से मंडी का निर्माण
कार्य पूरा हो गया। व्यापारियों ने नई मंडी में दुकान भी आवंटित करा लीं, लेकिन किसानों के विरोध के चलते गढ़ की पुरानी मंडी नई मंडी में नहीं पहुंच पाई है, परंतु आठ माह पूर्व उक्त मंडी को भी शुरू करा दिया गया। मंडी शुरू होने के बाद मेरठ मार्ग पर धान की खरीद-फरोख्त और लो¨डग का धंधा सड़क किनारे होने से लोगों को चौतरफा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अति व्यस्तम गढ़ चौपला से मेरठ को जाने वाली सड़क व पुरानी दिल्ली रोड के किनारे दोनों ओर दिन निकलते ही धान की फड़ व धान से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली लग जाती हैं। फिर देर शाम तक धान की खरीद-फरोख्त का धंधा चलता है। साथ ही साथ दिल्ली, हरियाणा,
पंजाब, राजस्थान समेत वेस्ट यूपी के चावल मिलों को धान लेकर जाने वाले ट्रक सड़क पर खड़े होकर माल की लो¨डग करते हैं। जिससे सुबह से लेकर देर शाम तक जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। सुबह के समय लगने वाले जाम से छात्रों को सर्वाधिक दिक्कत झेलनी पड़ती है। उन्हें समय पर स्कूल-कालेज पहुंचना एक चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा गढ़ क्षेत्र समेत गंगा पार के जनपद अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली से मेरठ के अस्पतालों को गंभीर रोगियों को लाने ले जाने वाले वाहन भी इस जाम में फंस जाते हैं। जिससे रोगियों को भारी दिक्कत सहनी पड़ती है। सड़क के किनारे दो दर्जन से भी अधिक आढ़त संचालित हो रही हैं। जिन पर प्रतिदिन हजारों कुंतल से भी अधिक धान की खरीद-फरोख्त होती है। जिसे सौ से भी अधिक ट्रकों द्वारा लो¨डग कर यहां से ले जाया जाता है। जिससे हर समय अनहोनी का खतरा भी बना रहता है। क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम ज्योति राय का कहना है कि सड़क किनारे धान की खरीद-फरोख्त और माल की लो¨डग होना बेहद गंभीर मामला है। जिसकी रोकथाम को शीघ्र ही जांच पड़ताल कराकर बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। जो लोग सड़क किनारे धान की खरीद-फरोख्त कर जाम लगा रहे हैं, उन्हें ¨चह्नित कर कड़ी चेतावनी दी जाएगी। इसके बाद भी आढ़त न हटने पर उन पर कार्रवाई होगी।
-पवन कुमार, डीएसपी