अब गांव के युवा, बिना धन खर्च करेंगे व्यायाम
गांव की खेल प्रतिभाओं को अब सुविधाओं के अभाव में भटकना नहीं पड़ेगा। जनपद के
गौरव भारद्वाज, हापुड़:
गांव की खेल प्रतिभाओं को अब सुविधाओं के अभाव में भटकना नहीं पड़ेगा। जनपद के 89 गांवों के मैदान विकसित किए जाएंगे। साथ ही इन मैदानों में ओपन एयर जिम खोले जाएंगे। जिनमें गांवों के युवा बिना धन खर्च किए शारीरिक व्यायाम कर सकेंगे। साथ ही विभिन्न प्रकार के खेलों का अभ्यास किया जा सकेगा। खेलों के उत्थान के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद ग्रामीण अंचलों के खिलाड़ियों में प्रतिभा होने पर भी वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इसकी प्रमुख वजह नियमित अभ्यास की कमी है। गांव में खेल के मैदान भी नहीं हैं। जिन गांवों में हैं उनके खेल मैदान विकसित नहीं हैं। इसलिए ग्रामीण परिवेश के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पाती है।
खेलो इंडिया खेलो योजना के तहत जनपद के 89 गांवों के खेल मैदान विकसित किए जाएंगे। साथ ही उनमें युवाओं को स्वस्थ रखने के लिए ओपन एयर जिम खोले जाएंगे। जिनमें युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी शारीरिक व्यायाम कर सकेंगे। जिलाधिकारी ने सीडीओ, डीडीओ और डीपीआरओ को चिह्रिंत गांवों के खेल मैदानों को विकसित करने और उनमें ओपन एयर जिम खोलने के आदेश दिए हैं।
जिला पंचायती राज अधिकारी यावर अब्बास ने बताया कि जिलाधिकारी ने सभी तहसीलों से गांवों के खेल मैदानों की सूची मंगवाई थी। सूची में हापुड़ में 50, धौलाना में 25 और गढ़मुक्तेश्वर में 14 गांवों में खेल मैदान मिले। इन्हें विकसित किया जाएगा और ओपन एयर जिम खोले जाएंगे। इसके लिए सचिवों को आदेश दिए हैं। जल्द ही इन पर कार्य शुरू होगा।
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गांव के युवाओं को मिलेगा फायदा
सुविधाओं के अभाव में गांवों के युवा शारीरिक रूप से फिट नहीं हो पाते थे। उन्हें जिम करने के लिए कई किलोमीटर दूर शहर जाना पड़ता था या वह अपनी इच्छाएं दबाकर बैठ जाते थे। जिससे गांव की प्रतिभाएं उभर नहीं पाती थीं।
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ग्राम पंचायतें कार्य योजना में करेंगी शामिल
ग्राम पंचायतें इसे अपनी आगामी कार्य योजना में शामिल करेंगी। प्रस्ताव पास कराकर जमीन का समतलीकरण कराकर वहां खेल का मैदान बनाया जाएगा। जिसके बाद बजट निकालकर जिम की मशीनरी लगाई जाएंगी।
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ग्राम पंचायतों में बजट का होगा अड़ंगा
खेल मैदानों का और उनमें ओपन एयर जिम खोलने के लिए ग्राम पंचायतों के सामने बजट का अड़ंगा आड़े आ सकता है, क्योंकि पहले से ही ग्राम पंचायतें रोना रोती रहती हैं।