उफ ये गर्मी! ...तपने लगी दोपहर, चढ़ने लगा पारा
अप्रैल का महीना खत्म होने के साथ गर्मी भी अपना असर दिखाने लगी है। सुबह के बाद जैसे जैसे सूर्यदेव आसमान में चढ़ते हैं वैसे वैसे पारा बढ़ने के साथ -साथ दोपहर भी तपने लगती है। पिछले एक सप्ताह से पारा लगातार चढ़ रहा है जिससे लोगों का पसीना छूटने लगा है। लोगों का कहना है कि अप्रैल
जागरण संवाददाता, हापुड़:
अप्रैल माह के अंत में गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। दिन निकलने के बाद जैसे-जैसे सूर्यदेव अपनी यात्रा आगे बढ़ाते रहते हैं, वैसे-वैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगता है। एक सप्ताह से तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों का सुबह दस बजे के बाद घरों से निकलना मुश्किल होने लगा है। रविवार को अधिकतम तापमान 42 डिग्री और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहा।
कुछ दिनों से गर्मी के तेवर तीखे होने लगे हैं। हालांकि बीच-बीच में बरसात होने के कारण मार्च और आधे अप्रैल तक मौसम सुहावना ही बना था। अब बढ़ते तापमान ने लोगों को गर्मी का अहसास कराना शुरू कर दिया है। अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में सुबह नौ बजे के बाद जैसे जैसे दिन आगे बढ़ने लगता है, वैसे-वैसे गर्मी भी रंग दिखाने लगती है। दोपहर के समय तो गर्मी के कारण लोगों की घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो पाती है। शाम तक कड़ी धूप रहने के कारण लोग गर्मी से व्याकुल रहते हैं। सुबह दस से शाम पांच बजे के बीच सड़कों पर वहीं लोग निकलते हैं जिन्हें आवश्यक काम होता है। आमतौर पर लोग खरीदारी करने के लिए शाम होने पर ही घर से बाहर निकलते हैं। गांवों में भी हालत काफी खराब हैं। ------------
-गर्मी से बचाव के लिए लोग कर रहे विभिन्न प्रयास
जरूरी काम के लिए लोगों को घर से बाहर निकलना ही पड़ता है। तेज गर्मी से राहत पाने के लिए और शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए लोग शीतल पेय, शिकंजी और गन्ने के रस जैसे पेय पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
----------
-खान-पान में सावधानी बरतने की जरूरत
गर्मी में बीमारियां भी अपना असर दिखाती है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोगों को खानपान में विशेष सावधानी बरतनी होगी। इस मौसम में सड़े-गले फल न खाएं। डा.गौरव मित्तल का कहना है कि गर्मी में सदैव ताजा भोजन करें। सार्वजनिक स्थान पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों का तो बिल्कुल सेवन न करें।