अब बिना मास्क के नहीं हो सकेंगे भगवान के दर्शन
जागरण संवाददाता हापुड़ कोरोना वायरस जहां लगातार जनपद के लोगों के लिए घातक साबित हो
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
कोरोना वायरस जहां लगातार जनपद के लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है। वहीं, सतर्कता भूलकर लोगों में भी लापरवाही बढ़ती जा रही है। लोगों को नियमों का पाठ पढ़ाने के लिए शासन सख्त हो गया। जारी गाइडलाइन के अनुसार अब बिना मास्क पहने न तो लोग खरीदारी कर सकेंगे और न ही भगवान के दर्शन करेंगे। इस संबंध में पुलिस अफसरों ने पुलिस के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत बाजारों से लेकर धार्मिक स्थलों पर पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। बिना मास्क वाले लोगों का पुलिस चालान कर जुर्माना वसूलेगी।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए जनपद के अफसरों को शासन द्वारी जारी की गई गाइडलाइन के संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है। एसपी संजीव सुमन ने बताया कि शासन के दिशा-निर्देशों पर बाजारों से लेकर धार्मिक स्थलों को चिह्नित कर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। अब बिना मास्क लगाए दुकानदार न तो सामान बिक्री कर सकेंगे और न ही ग्राहक खरीदारी। इतना ही नहीं दर्शन के लिए धार्मिक स्थलों पर बिना मास्क लगाकर आने वाले व्यक्ति को भगवान के दर्शन नहीं करने दिए जाएंगे। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी। मास्क न पहनने वालों का पुलिस चालान कर जुर्माना वसूलेगी।
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पिलखुवा और हापुड़ के मोहल्लों में सबसे अधिक आए हैं मरीज
जनपद में अभी तक 3088 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से सबसे अधिक मरीज पिलखुवा के आर्यनगर और हापुड़ के मोहल्ला मजीदपुरा में मिले हैं। पिलखुवा के आर्यनगर की बात की जाए तो 311 से अधिक मरीज मिले थे। इस मोहल्ले में करीब चार माह पहले एक ही दिन में 84 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में उथल-पुथल मच गई थी। मोहल्ले में संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों द्वारा युद्धस्तर पर अभियान चलाया गया। वहीं मजीदपुरा में अब तक करीब 280 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न प्रयासों के बाद इन मोहल्लों में संक्रमण का प्रभाव कम हो गया है।
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दो चिकित्सकों से मांगा गया है अब तक स्पष्टीकरण -
कोविड-19 के चलते अभी तक जनपद के दो चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। इनमें से एक सरस्वती मेडिकल कालेज में बनाए गए नोडल अधिकारी सरकारी चिकित्सक और सिभावली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक शामिल हैं। नोडल अधिकारी से स्पष्टीकरण एक जून से उनके कार्यकाल में कोरोना के मरीजों की बढ़ी मौत दर के कारण मांगा गया था। जबकि, सिभावली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक से क्षेत्र में कोविड-19 के लिए कराया जा रहा सर्वे सही प्रकार से न करने के कारण स्पष्टीकरण मांगा था। सर्वे सही प्रकार से न होने के कारण सिभावली क्षेत्र के गांव निवासी एक मरीज की कोरोना की देरी से जांच कराई गई थी। जिसके कारण मरीज की अस्पताल में भर्ती होने के तीन घंटे बाद ही मौत हो गई थी। हालांकि, अभी तक किसी भी अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है।