ज्येष्ठ दशहरे पर पृथ्वी पर अवतरित हुई थी मां गंगा
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। भागीरथ के कठिन तप के बाद मां गंगा का आज के ही दिन धरती पर अवतरण हुआ था। मां गंगा का अवतरण हस्त नक्षत्र में हुआ था। आज के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक गंगा जल से करने का विशेष महत्व है।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी पर गंगा दशहरा मनाया जाता है। भागीरथ के कठिन तप के बाद मां गंगा का आज के ही दिन हस्त नक्षत्र में धरती पर अवतरण हुआ था। आज के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक गंगा जल से करने का विशेष महत्व है।
ज्योतिष सुरेंद्र शर्मा के अनुसार गंगा इतनी पवित्र नदी है कि आज के दिन इसमें स्नान मात्र करने से 10 तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। दस पापों को हरने के कारण ही इसे गंगा दशहरा कहा जाता है। इसमें तीन कायिक पाप होते हैं, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप होते हैं। कायिक पाप का अर्थ होता है काया यानी हमारे शरीर से जुड़े पाप। वाचिक यानी वाणी संबंधी पाप और मानसिक पाप यानी जो आप अपनी सोच और मानसिकता से करते हैं। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्नान और गंगा पूजन करने वाले व्यक्ति के न केवल पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि उसकी मन की मुराद भी पूरी हो जाती है। जिन लोगों को संतान नहीं है, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
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मलमास में गंगा दशहरा
मलमास में गंगा दशहरा का आना बहुत शुभ होता है। जिस साल मलमास होता है, उस वर्ष मलमास में ही गंगा दशहरा मनाया जाता है। उस वर्ष शुद्धमास में गंगा दशहरा नहीं मनाया जाता। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पूजन करने की परंपरा है।
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इस मंत्र का करें जाप
इस दिन मां गंगा को प्रसन्न करने और उनसे मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करें। लेकिन ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप गंगा स्नान के दौरान ही करना है।
ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:
नोट-: इस मंत्र का जाप अपनी श्रद्धा अनुसार 1, 3, 5, 7, 11, 21 या 108 बार किया जा सकता है।