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UP: मुश्किल हालात में छात्रा ने तैराकी में हासिल किया मुकाम, पिता ने दिया भरपूर साथ

रिया वर्मा ने वर्ष 2018 में नेपाल में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद वर्ष 2019 में केएन कपूर मैमोरियल सीनियर राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक हासिल किया। 2020 के शुरुआत में इसी प्रतियोगिता में एक स्वर्ण एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 07:37 AM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 11:36 AM (IST)
UP: मुश्किल हालात में छात्रा ने तैराकी में हासिल किया मुकाम, पिता ने दिया भरपूर साथ
रिया वर्मा ने तैराकी में अनेकों बार जनपद का नाम रोशन किया है।

हापुड़ [संजीव वर्मा]। पढ़ाई का क्षेत्र हो या खेलकूद का, आज हमारे देश बेटी हर क्षेत्र में मुकाम हासिल कर रही है। ऐसी ही एक बेटी देश की राजधानी दिल्ली से 60 किमी दूर उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ की है। अपना घर कालाेनी निवासी रिया वर्मा ने तैराकी में अनेकों बार जनपद का नाम रोशन किया है। रिया वर्मा तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है और बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है। बचपन से ही रिया को तैराकी का शौक था। बेटी के शौक को पूरा करने के लिए पिता राजीव वर्मा ने हर पल साथ दिया। पुत्री को ट्रेनिंग दिलाने के साथ-साथ प्रत्येक प्रतियोगिताओं में कदम से कदम मिलाकर चलें।

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रिया वर्मा ने वर्ष 2018 में नेपाल में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद वर्ष 2019 में केएन कपूर मैमोरियल सीनियर राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक हासिल किया। वर्ष 2020 के शुरुआत में इसी प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं। इसके बाद कोरोना काल के चलते लॉकडाउन के चलते प्रतियोगिताओं पर ब्रेक लग गया। ऐसे में भी रिया ने तैयारियों को अंजाम देने कम नहीं किया और घर पर तैयारी शुरू कर दी।

लॉकडाउन से पहले वह हरियाणा के सोनीपत में अभ्यास कर रही थीं। लॉकडाउन लगने के बाद घर पर आना पड़ा। हालांकि घर पर रहकर ही अभ्यास करना किसी कठिन चुनौती से कम नहीं था। इस बीच निरंतर अभ्यास बनाए रखने के लिए बाइपास के किनारे दस मीटर लंबा एक तरणताल खोजा। यह तरणताल एकांत में खेत पर बना हुआ है। जिसमें रोजाना सुबह पानी भरना पड़ता था। इसी तरह व्यायामशाला से व्यायाम करने के लिए मशीनें उठाकर घर पर लाए। ताकि, शारीरिक क्षमता बरकरार रहे। आज भी कोरोना संक्रमण से बचते हुए निरंतर अभ्यास चल रहा है।

रिया कहती हैं कि उनके प्रेरणा स्त्रोत हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद है। मेजर ध्यानचंद के जीवन काल से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्हीं से प्रेरित होकर आज भी प्रयास जारी है। इंसान को जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। परेशानी जीवन में आती- जाती रहती हैं। जिनका हमें सामना करना चाहिए। इसके बाद हम अपना मुकाम हासिल कर सकते हैं। तरक्की और सपनों को पूरा करने के लिए महाभारत के अर्जुन की तरह निशाना शिकार पर होना चाहिए और लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। तभी लक्ष्य प्राप्त होता है।


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