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UP: खेती करने के लिए छोड़ दी नामी कंपनी की नौकरी, अब लाखों रुपये कर रहे कमाई

एमबीए पास 36 वर्षीय बबली गुर्जर ने एक नामचीन कंपनी की नौकरी छोड़कर सहफसली खेती करनी शुरू कर दी। परिवार में काफी विरोध हुआ लेकिन इरादे पर डटे रहे और नतीजा यह हुआ कि सभी अब सराहना कर रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 03:35 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 03:35 PM (IST)
UP: खेती करने के लिए छोड़ दी नामी कंपनी की नौकरी, अब लाखों रुपये कर रहे कमाई
हजारों की नौकरी छोड़ खेती अपनाई, शुरू की लाखों की कमाई

हापुड़ [गौरव भारद्वाज]। खेती-किसानों को घाटे का सौदा बताकर इससे किनारा करने की बातों हो रही हैं और पढ़े-लिखे लोग इसे अपने लायक काम नहीं मानते। दूसरी ओर कुछ लोग इस धारणा को तोड़ने में जुटे हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं जिले के गांव रामपुर निवासी एमबीए पास 36 वर्षीय बबली गुर्जर ने एक नामचीन कंपनी की नौकरी छोड़कर सहफसली खेती करनी शुरू कर दी। परिवार में काफी विरोध हुआ, लेकिन इरादे पर डटे रहे और नतीजा यह हुआ कि सभी अब सराहना कर रहे हैं।

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यही नहीं सहफसली खेती के गुर सीखने वाले किसानों का बबली के घर तांता लगा रहता है। हापुड़ ब्लाक के गांव रामपुर निवासी किसान बबली गुर्जर की प्राथमिक शिक्षा गांव में हुई। स्नातक करने के बाद माता-पिता ने एमबीए कराने के लिए ग्रेटर नोएडा के एक कालेज में दाखिला दिला दिया। वर्ष 2009 में एमबीए करने के बाद दौड़-भाग करके दिल्ली स्थित एक नामचीन कंपनी में नौकरी भी मिल गई। 30 हजार रुपये प्रति माह की नौकरी तो मिल गई, लेकिन बबली के दिमाग में कुछ बड़ा करने का सवाल अभी भी कौंध रहा था।

बबली ने किसी तरह दो साल नौकरी की। 60 बीघा जमीन के मालिक बबली के पिता को जमीन से कुछ खास आमदनी नहीं हो पा रही थी। अपने लक्ष्य को पाने के लिए बबली ने एक दिन नौकरी छोड़ दी। कुछ वर्ष इधर-उधर भटकने के बाद बबली ने एग्री-बिजनेस शुरू करने की ठान ली। दो भाइयों में बड़े बबली ने पिता की 60 बीघे जमीन में सहफसली खेती करके आय को दोगुना नहीं तीन गुना करने की ठानी। शुरुआत में बबली ने महज छह बीघा खेत में केले की फसल बोई है। बड़ी बात यह रही कि केले के साथ ही बबली गुर्जर ने गन्ने भी बोया। जिसमें केले की पैदावार शानदार हुई, वहीं करीब 15 फुट लंबा गन्ना हुआ। जिसको देखने के लिए कृषि विभाग के अफसरों के अलावा दूर-दूर से किसान भी उमड़ पड़े।

बबली का दावा है कि इससे बबली को करीब 50 से 55 हजार रुपये बीघा प्रति वर्ष की आय हुई। जबकि पहले महज 15 से 20 हजार रुपये बीघा आय बमुश्किल हो पाती थी। वह अब सहफसली खेती को पूरे 60 बीघे जमीन में कर रहे हैं।

खेती में आविष्कार

बबली गुर्जर बताते हैं कि मैं खेती में आविष्कार पर विश्वास रखता हूं। इसलिए गन्ने और गेहूं की खेती के साथ ही केले और गन्ने की सहफसली की है। इसकी फसल से प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर सात से आठ लाख रुपये तक का मुनाफा होता है। जो पहले ढाई से तीन लाख रुपये का हो पाता था। दरअसल, इसके साथ ही मैं कम खर्च पर फसलों के उत्पादन पर भी काम कर रहा आज जैसे-जैसे लोगों की मांग बदल रही है, उसी मुताबिक कृषि क्षेत्र में भी बदलाव आ रहे हैं। खासकर खेती व्यापार में नए प्रयोग हो रहे हैं।

15 हजार के खर्च पर 50 हजार की आमदनी

बबली गुर्जर का दावा है कि जी-09 केले का उत्पादन बढि़या हो रहा है। जिसको देखने के लिए केले की पौध लगाने वाले भी गांव रामपुर आ रहे हैं। किसान बबली गुर्जर का कहना है कि छह बीघा जमीन में केला तथा गन्ना की सहफसली में 15 से 20 हजार रुपये बीघे का खर्चा आया है, जबकि 50 हजार रुपये बीघे का केला बिक रहा है। जबकि गन्ने की लंबाई करीब 15 फुट हो चुकी है।


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