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पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गंगा घाट पर गूंजे हर-हर गंगे के जयकारे

भाद्रपद पूर्णिमा पर विभिन्न प्रांतों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने ब्रजघाट गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने दिवंगत पितरों का श्राद्ध कर्म भी किया। भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद किनारे पर अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध कर्म भी किया।

By Edited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 12:11 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 12:11 PM (IST)
पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गंगा घाट पर गूंजे हर-हर गंगे के जयकारे
भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद श्राद्ध कर्म भी किया।

हापुड़ [प्रिंस शर्मा ]। सोमवार को भाद्रपद पूर्णिमा पर विभिन्न प्रांतों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने ब्रजघाट गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने दिवंगत पितरों का श्राद्ध कर्म भी किया। गर्मी होने के बावजूद गंगानगरी में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूरे घाट पर चारों तरफ हर-हर गंगे की जयघोष सुनाई दी। दूर दराज से आए धनाढ्यों ने गरीब-निराश्रितों को भोजन-वस्त्र का दान किया। भाद्रपद पूर्णिमा के मद्देनजर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत दूर जनपदों के भक्तों का आगमन रविवार की देर शाम को ही प्रारंभ हो गया था। इससे तीर्थनगरी में चौतरफा चहल पहल थी। श्रद्धालुओं की खरीददारी से बाजारों में रंगत बढ़ गई थी।

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सैकड़ों धर्मशाला, मंदिर और आश्रम परिसर फुल होने और गर्मी के चलते हजारों भक्तों को मुख्य बाजार, शिवचौक समेत विभिन्न स्थानों पर दुकानों की टीन शैड़ के नीचे रात बिताने को मजबूर होना पड़ा। सोमवार को प्रात:काल ब्रह्म मुर्हूत में भक्तों ने हर-हर गंगे के जयकारों के बीच मोक्ष दायिनी में डुबकी लगाने का क्रम प्रारंभ कर दिया था, जो देर शाम तक निरंतर चलता रहा। अधिकांश भक्तों ने डुबकी लगाने के बाद किनारे पर बैठे पंडितों से भगवान सत्यनारायण की कथा सुनी। साथ ही तीर्थनगरी के प्रसिद्ध मंदिरों में पहुंचकर अपने ईष्ट देवों की पूजा अर्चना भी की।

दिवंगत पितरों का श्राद्ध कर्म का महत्‍व

विभिन्न स्थानों से आए भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाने के बाद किनारे पर अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध कर्म भी किया। पंडित मुनेंद्र शास्त्री ने बताया कि बिहार के गया धाम में दिवंगत पितरों का श्राद्ध कर्म करना सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो फिर मोक्ष दायिनी गंगा के किनारे श्राद्ध कर्म करने का सर्वाधिक महत्व है। इसमें भी विफल रहने वाले अपने घरों पर श्राद्ध कर्म और दिवंगत पितरों का तर्पण कर सकते हैं।


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