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लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे कृष्णकांत

जल ही जीवन है लेकिन हम इसका महत्व जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं। यह माना है कि ¨सभावली ब्लाक के गांव धनावली अट्टा निवासी पर्यावरणविद् कृष्णकांत ¨सह हूण का। कई वर्ष से कृष्णकांत जल संरक्षण को लेकर अभियान चलाए हुए है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 09:25 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 09:25 PM (IST)
लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे कृष्णकांत
लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे कृष्णकांत

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : जल ही जीवन है लेकिन हम इसका महत्व जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं। यह कहना है ¨सभावली ब्लाक के गांव धनावली अट्टा निवासी पर्यावरणविद् कृष्णकांत ¨सह हूण का। कई वर्ष से कृष्णकांत जल संरक्षण को लेकर अभियान चलाए हुए हैं। उन्होंने गांव की गलियों से लेकर न्यायालय तक जल संरक्षण के लिए लड़ाई लड़ी हैं। इसके चलते काली नदी और गंगा नदी को प्रदूषित कर रही कई फैक्ट्रियों पर प्रशासन द्वारा जुर्माना भी लगाया है। जन सशक्तिकरण संस्था के अध्यक्ष एवं पर्यावरणविद् जिला पंचायत सदस्य कृष्णकांत ¨सह हूण ने जल संरक्षण का बीड़ा  उठाया है। अब इनके जीवन का एक मात्र ध्येय जल संरक्षण ही रह गया है। हर जगह वह केवल इसी विषय पर बात कर लोगों को जलसंरक्षण का महत्व बताते हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने अकेले जल संरक्षण का बीड़ा उठाया था और आज उनका अभियान कारवां बन गया है। बड़ी संख्या में लोग उनके इस अभियान में सहयोगी हैं। वह एक अधिवक्ता भी हैं और एनजीटी न्यायालय में जल प्रदूषण की लड़ाई लड़ते हैं। उनका मानना है कि मानव जीवन में जल काफी महत्व है। भूजल के गिरते स्तर एवं उसके प्रदूषण को रोकने के लिए शासन-प्रशासन के साथ आम आदमी को गंभीर होना पड़ेगा। यदि समय रहते जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में इसके दुष्प्रभाव से कोई नहीं बच पाएगा।

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गांव की गलियों में जल संरक्षण की शुरुआत करने वाले कृष्णकांत ने जनपद में कई बड़े कार्य भी किए हैं। भूगर्भ जल के गिरते स्तर और उसके प्रदूषण को रोकने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वहीं, भूमिगत जल को प्रदूषित करने वाली बड़ी औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से भी नहीं चूक रहे हैं।

एनजीटी तक उठाया जल प्रदूषण का मामला

कृष्णकांत हूण ने औद्योगिक कचरे के खिलाफ आवाज उठाई। गांवों में सभा कर लोगों को काली नदी के प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए जागरूक किया। उन्होंने न्याय पाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाया। अधिकरण ने कई औद्योगिक इकाइयों को काली नदी में कचरा गिराने पर रोक लगाने के आदेश कर दिए थे।


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