कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की हापुड़ में दस्तक, जानिए इस बीमारी के लक्षण; ऐसे रहें सतर्क
जनपद में दिन- प्रतिदिन कोरोना संक्रमित अधिक संख्या में मिल रहे हैं। कोरोना का जनपद में भयंकर रूप देखने को मिल रहा है। प्रतिदिन संक्रमितों की मौत भी हो रही है लेकिन अब कोरोना के साथ ब्लैक फंगस से भी मरीज ग्रस्त होने लगे हैं।
हापुड़ [मुकुल मिश्रा]। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी जनपद के ऊपर मंडरा ही रहा है कि अब ब्लैक फंगस ने भी जनपद में दस्तक दे दी है। इसके बाद प्रशासन समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। जिस मरीज में बृहस्पतिवार को ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, उसे जीएस अस्पताल में अन्य मरीजों से अलग आइसोलेट कर उपचार भी शुरू करा दिया गया है। जनपद में ब्लैक फंगस का यह पहला मामला सामने आया है।
जनपद में दिन- प्रतिदिन कोरोना संक्रमित अधिक संख्या में मिल रहे हैं। कोरोना का जनपद में भयंकर रूप देखने को मिल रहा है। प्रतिदिन संक्रमितों की मौत भी हो रही है, लेकिन अब कोरोना के साथ ब्लैक फंगस से भी मरीज ग्रस्त होने लगे हैं। हाल ही में जनपद मेरठ के एक निजी अस्पताल में दो मरीजों में ब्लैक फंगस का संक्रमण देखने को मिला था। जिसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया था। ऐसे में संक्रमित मरीजों पर चिकित्सक लगातार पैनी नजर बनाए रखे थे।
बता दें कि जनपद के एक अस्पताल में कोरोना संक्रमित का उपचार किया जा रहा था। उपचार के दौरान वहां तैनात चिकित्सकों को मरीज में ब्लैक फंगस होने का अंदेशा हुआ। इसकी जांच कराई गई तो संक्रमित में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो गई। सूचना पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मरीज को आनन-फानन में जीएस अस्पताल में अलग आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराकर उसका उपचार शुरू करा दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने फिलहाल मरीज की पहचान को गोपनीय रखा है। मरीज की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
क्या है ब्लैक फंगस -
ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस शरीर में बहुत तेजी से फैलने वाला एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। यह फंगल इंफेक्शन मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी चली जाती है। वहीं, कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
यह हैं लक्षण
- आंखों और नाक के पास लालिमा
- बुखार
- सिरदर्द
- खांसी
- सांस लेने में तकलीफ
- खून भरी उलटी
- मानसिक स्थिति में बदलाव
कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की समस्या -
- मधुमेह की समस्या का कंट्रोल में न होना।
- स्ट्रायड के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव होना।
- आइसीयू में काफी समय तक एडमिट रहना।
कोरोना के मरीजों को ब्लैक फंगस से ज्यादा है खतरा
कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिसके कारण ब्लैक फंगस अपनी जकड़ में इन मरीजों को आसानी से ले लेता है। कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज की समस्या है, मधुमेह लेवल बढ़ जाने पर उनमें यह संक्रमण खतरनाक रूप ले सकता है।
इस प्रकार करें बचाव
- शुगर को कंट्रोल में रखें
- कोविड के इलाज और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें
- आक्सीजन थैरेपी के दौरान साफ पानी को प्रयोग में लाएं
- एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्तेमाल करें
-
क्या कहती हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी
जनपद के एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। मरीज का उपचार जीएस अस्पताल में कराया जा रहा है। उसे अन्य मरीजों से अलग आइसोलेट किया गया है। इस संक्रमण से लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह संक्रमण हर किसी मरीज को नहीं होता है। थोड़ी सावधानी और समय से उपचार के बाद यह संक्रमण सही हो जाता है।
डॉ. रेखा शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी