UP: गुरुकुल में तैयार हो रहे हैं आज के अर्जुन और भीम, कभी पांडवों ने यहां ग्रहण की थी शिक्षा
हस्तिनापुर से पुष्पावती तक जाने के लिए एक गुप्त मार्ग था जिसके चिन्ह आज भी कुछ वर्ष पहले तक मौजूद थे जो अब समाप्त हो गये हैं।
गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़) [प्रिंस शर्मा]। महाभारत काल में यह नगर जल मार्ग व्यापार का मुख्य केन्द्र था। हस्तिनापुर राज्य की राजधानी का एक हिस्सा रहा है। हस्तिनापुर से उत्तर दिशा की और पुष्पावती जो आज ग्राम पूठ के नाम से जाना जाता है वह पूर्व में खाण्डवी वन क्षेत्र था। हस्तिनापुर से पुष्पावती के बीच 35 किलोमीटर तक खाण्डवी वन था।
हस्तिनापुर से पुष्पावती तक जाने के लिए एक गुप्त मार्ग था जिसके चिन्ह आज भी कुछ वर्ष पहले तक मौजूद थे, जो अब समाप्त हो गये हैं।
क्या है गुरुकुल विद्यापीठ का इतिहास
वैसे तो उक्त स्थान पर महाभारत कालीन में पांडवों के द्वारा गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा ग्रहण की गई थी, परन्तु वर्तमान में उक्त विद्यालय के कार्यवाहक संचालक स्वामी अखिलानंद, प्रधानाचार्य राजीव कुमार व्यवस्थापक आचार्य दिनेश कुमार ने बताया कि महाभारत कालीन से जुड़े होने के साथ साथ यहां पर बच्चों को उस समय की शिक्षा देने के लिए वर्ष 1989 संवत 2046 जन्माष्टमी के पावन पर्व पर विद्यापीठ की स्थापना हुई थी तभी से आज तक यहां पर छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। गुरुकुल में अब आचार्य की शिक्षा दी जा रही है जो एमए के समकक्ष होती है। गुरुकुल महा विद्यालय पूठ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से संबद्ध है।
गुरुकुल में तैयार हो रहे है भीम और अर्जुन
गुरुकुल महाविद्यालय के कार्यवाहक संचालक स्वामी अखिलानंद आचार्य छात्रों के चरित्र निर्माण एवं वेद पाठन से अर्जुन जैसे धनुर्धर एंव महाबली भीम जैसे ब्रहमचारी तैयार कर रहे है।
नौ शिक्षकों के द्वारा दी जा रही है छात्रों को शिक्षा
महाभारत कालीन के अतीत से जुड़े उक्त महाविद्यालय में आज भी बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, शामली, सहारनपुर, के साथ साथ दिल्ली, हरियाणा, सहित अन्य स्थानों से सैकड़ों छात्रों के द्वारा शिक्षा ग्रहण की जा रही है जिनको शिक्षा देने के लिए विद्यालय के संचालक स्वामी स्वामी अखिलानंद के साथ साथ नौ शिक्षकों की तैनाती है जो छात्रों को विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण कराते है।
बढ़ रही है छात्रों की संख्या
आधुनिक शिक्षा को त्याग कर भारतीय संस्कृति की शिक्षा ग्रहण करने वाले की कमी नही है गुरुकुल में प्रत्येक वर्ष धर्नुविद्या वेदपाठ आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है वर्तमान में गुरुकुल में 143 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान में कोरेना संक्रमण को लेकर कुछ बच्चे घरों से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे है।
कौन कौन सी शिक्षा ग्रहण कर रहे है छात्र
स्वामी अखिलानंद ने बताया कि गुरुकुल में छात्रों को धनुष बाण चलाना, तलवार चलाना, रस्से के आसन योग, वेद पुराण की शिक्षा, मल्लखंब, कुश्ती, एंव ब्रहमचार्य के साथ संस्कृत, साहित्य समाज शास्त्र हिन्दी, गणित अंग्रेजी के साथ साथ आचार्य तक की शिक्षा दी जा रही है।