गंगा की रेती में फैल रही आस्था और भक्ति की सुंगध
पौराणिक खादर मेले में धीरे-धीरे तंबुओं की महानगरी बसने लगी है। सोमवार तक मेले में करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा किनारे टैंट-तंबू गाढ़कर पड़ाव डाल लिया है। मां गंगे के जयकारों से रेतीला मैदान गूंज उठा है। मेला इस बार करीब 10 किलोमीटर लंबी परिधि में बसा हुआ है। यहां धीरे-धीरे तंबुओं की महानगरी बसने का सिलसिला तेज होता जा रहा है। जिला पंचायत विभाग के आंकड़ों के अनुसार शनिवार देर शाम तक खादर मेले में चार लाख से अधिक श्रद्धालु पड़ाव डाल चुके थे।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेला परिसर में धीरे-धीरे तंबुओं की महानगरी बसने लगी है। मां गंगा के जयकारों से मेला परिसर का वातावरण गूंज उठा है। इस वर्ष मेला परिसर का क्षेत्रफल बढ़कर लगभग 10 किलोमीटर हो गया है। धीरे-धीरे तंबुओं की महानगरी का आकार बढ़ने लगा है। जिला पंचायत विभाग के आंकड़ों के अनुसार शनिवार देर शाम तक खादर मेले में चार लाख से अधिक श्रद्धालु पड़ाव डाल चुके थे।
मेले में जाने के लिए संपर्क मार्गों पर श्रद्धालुओं से भरे वाहनों का तांता लगा हुआ है। इनमें सवार महिला और बच्चे ढोलक की थाप पर गंगा मैया के गीत गाते हुए चल रहे हैं। क्षेत्र का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। विभिन्न स्थानों से आ रहे श्रद्धालु इस मेले का खूब आनंद ले रहे हैं। धार्मिक अनुष्ठानों से बचे समय में महिलाएं चूल्हे चौके की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। युवा वर्ग गंगा के रेतीले मैदान में क्रिकेट, कबड्डी, फुटबॉल जैसे खेलों का लुत्फ ले रहे हैं। शिरडी साईं बाबा, आर्य समाज और खिचड़ी वाले बाबा द्वारा लगाए गए शिविरों समेत विभिन्न अखाड़ों के शिविरों में प्रवचन कर विद्वान लोग श्रद्धालुओं को मानव जीवन और परमात्मा के रहस्य की गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
श्रद्धा के सैलाब में हर पल तेजी आती जा रही है, लेकिन अब तक भी जिला पंचायत द्वारा मेले के आयोजन के लिए की जा रही तैयारियां पूरी नहीं हो पाई हैं। मेले में सुरक्षा के लिए तैनात किए गए दूसरे जिलों के पुलिसकर्मी अभी तक मेला परिसर में स्थित पुलिस लाइन में नहीं पहुंचे हैं। मेले में मेरठ सेक्टर में प्रकाश व्यवस्था और पीने के पानी के लिए हैंडपंप का अभाव बना हुआ है। इस कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है। बुलंदशहर सेक्टर में थाने के निकट सड़क और गंगा के बीच वाली भूमि ऊबड़ खाबड़ है। इन सभी कमियों के कारण मेले में आने वाले श्रद्धालुओं में जिला पंचायत के प्रति काफी रोष है।