16 से 23 नवंबर तक गुलजार रहेगी गंगा की रेती
गंगा तट का रेतीला मैदान गुलजार होकर तंबू नगरी के रूप में सजने लगा है। श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। गंगा किनारा पितरों की मुक्ति का सहारा बनेगा। बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना कर दीपदान करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि देश के विभिन्न राज्यों से 30 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचने का अनुमान है। गढ़मुक्तेश्वर में गंगा के किनारे कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा मेले का हर वर्ष
जागरण संवाददाता, हापुड़
गंगा तट का रेतीला मैदान गुलजार होकर तंबू नगरी के रूप में सजने लगा है। मेला परिसर में श्रद्धालुओं का आना तेजी से जारी है। गंगा किनारा पितरों की मुक्ति का सहारा बनेगा। बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना कर दीपदान करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि देश के विभिन्न राज्यों से 30 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे।
गढ़मुक्तेश्वर में गंगा के किनारे कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा मेले का हर वर्ष आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी मेला लगाया गया है। 22 नवंबर को मेला स्थल में गंगा की धारा में दीपदान किया जाएगा और 23 नवंबर को मुख्य स्नान होगा। मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरांचल समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचेंगे। मेले में प्रतिदिन सुबह-शाम मां गंगा की आरती की जा रही है। मेले का वातावरण में धूप, अगरबत्ती और सामग्री की सुगंध से सुगंधित हो रहा है। साधुओं के शिविरों में
घंटे-घड़ियाल की आवाज लोगों में रोमांच पैदा कर रही है। ऐसा नजारा आगे आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर देखने को मिलेगा।
मां गंगा की अविरल धारा में 22 नवंबर की संध्या को श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपदान किया जाएगा। दीपदान की मध्य रात्रि से ही कार्तिक माह की पूर्णिमा पर मुख्य स्नान का पुण्य कमाने के लिए गंगा किनारे श्रद्धालुओं का
जमावड़ा होगा। इस दौरान गंगा किनारे आस्था और मनोकामना पूरी होने का संगम का नजारा दिखाई देगा। प्रति दिन गंगा की जलधारा में अठखेलियां करने वाले श्रद्धालु पूर्णिमा का स्नान करने के बाद अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे।