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गुरुकुल में होता है छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक और आत्मिक विकास

महाभारत काल में यह नगर जल मार्ग व्यापार का मुख्य केन्द्र था। हस्तिनापुर राज्य की राजधानी का एक हिस्सा रहा है। हस्तिनापुर से उत्तर दिशा की और पुष्पावती जो आज ग्राम पूठ के नाम से जाना जाता है वह पूर्व में खाण्डवी वन क्षेत्र था। हस्तिनापुर से पुष्पावती के बीच 35 किलोमीटर तक खाण्डवी वन था। हस्तिनापुर से पुष्पावती तक जाने के लिये एक गुप्त मार्ग था जिसके चिन्ह आज भी

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 05:30 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 05:30 PM (IST)
गुरुकुल में होता है छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक और आत्मिक विकास
गुरुकुल में होता है छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक और आत्मिक विकास

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : महाभारत काल में यह नगर जल मार्ग के माध्यम से व्यापार किए जाने का मुख्य केंद्र था। यह नगर हस्तिनापुर राज्य का हिस्सा रहा है। हस्तिनापुर से उत्तर दिशा की ओर स्थित ग्राम पूठ प्राचीन काल में पुष्पावती के नाम से प्रसिद्ध था। पांडवों द्वारा इस क्षेत्र को आबादी क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने से पूर्व यह खांडवी वन का क्षेत्र था। हस्तिनापुर से पुष्पावती के बीच 35 किलोमीटर तक खांडवी वन था। हस्तिनापुर से पुष्पावती तक आवागमन के लिए एक गुप्त मार्ग था, जिसके चिह्न कुछ वर्ष पहले तक मौजूद थे, जो अब पूरी तरह समाप्त हो गए हैं।

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क्या है गुरुकुल विद्यापीठ का इतिहास

ग्राम पुष्पावती में स्थित गुरुकुल के संचालक स्वामी धर्मेश्वरानंद ने बताया कि इस गुरुकुल की स्थापना वर्ष 1989 और संवत 2075 में जन्माष्टमी के पावन पर्व पर की गई थी। तब से आज तक इस गुरुकुल में हजारों छात्र शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। इस गुरुकुल में अब आचार्य तक की शिक्षा दी जा रही है, जो एमए के समकक्ष होती है। गुरुकुल महाविद्यालय पूठ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से संबद्ध है।

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गुरुकुल में किया जाता है छात्रों का चहुंमुखी विकास

गुरुकुल महाविद्यालय के संचालक ने बताया कि गुरुकुल में किताबी ज्ञान के अलावा छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक और आत्मिक विकास किया जाता है। छात्रों का चरित्र निर्माण करने, वेद का ज्ञान देने और उन्हें बलशाली बनाने और विभिन्न प्रकार के शस्त्रों के संचालन की शिक्षा दी जाती है। इस महाविद्यालय में कार्यरत चौदह शिक्षक आज भी बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, शामली, सहारनपुर, के अलावा दिल्ली, हरियाणा, सहित अन्य स्थानों से आए सैकड़ों छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। गुरुकुल में प्रत्येक वर्ष धनुर्विद्या और वेद का ज्ञान ग्रहण करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में गुरुकुल में दो सौ बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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गुरुकुल में दी जा रही शिक्षा

गुरुकुल में छात्रों को वेद, दर्शन और उपनिषदों का ज्ञान देने के साथ-साथ धनुष बाण चलाना, तलवार चलाना, रस्से पर किए जाने वाले योगासन, मल्लखंब, कुश्ती का अभ्यास कराया जाता है। इसके अलावा उन्हें संस्कृत, साहित्य, समाजशास्त्र, हिन्दी, गणित और अंग्रेजी विषयों की शिक्षा दिए जाने के साथ आचार्य की उपाधि तक की शिक्षा दी जा रही है।


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