कांवड़ यात्रा के संग देश भक्ति की उमंग
कांवड़ यात्रा का मेला अब सोपान पर पहुंच रहा है। ऐसे में शिवभक्तों की भारी भीड़ का हाइवे पर होने पर चहुं ओर पतित-पावनी गंगा के समानांतर कांवड़ियों की एक भगवा नदी बहती नजर आ रही है। ब्रजघाट की ओर से ¨सभावली, हापुड़ में प्रवेश करने वाले रास्तों और फिर यहां से निकलने वाले सभी मार्गों पर जहां
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
कांवड़ यात्रा का मेला अब सोपान पर पहुंच रहा है। ऐसे में शिवभक्तों की भारी भीड़ का हाइवे पर होने पर चारों ओर पतित-पावनी गंगा के समानांतर कांवड़ियों की एक भगवा नदी बहती नजर आ रही है। ब्रजघाट की ओर से ¨सभावली, हापुड़ में प्रवेश करने वाले रास्तों और फिर यहां से निकलने वाले सभी मार्गों पर जहां तक भी नजरें जाती हैं, कंधे पर गंगाजल की धारा उठाए शिव की भक्ति में मग्न कांवड़िये ही नजर आने लगे हैं। नगर व हाइवे के साथ ही गंग नहर की पटरी और कांवड़ मार्ग पर देशभक्ति के तराने, बाबा भोलेनाथ के भजनों के साथ ही हरियाणवी राग और रागिनी की धूम के बीच कांवड़ियों का रेला हाइवे को भक्तिमय बना रहा है। मंगलवार सुबह पांच दिनों के पंचक समाप्त होते ही गढ़ में बुधवार को कांवड़ियों की भारी भीड़ उमड़ी। गंगा नगरी में प्रवेश करने वाले कांवड़ियों की शिव चौक पहुंचने के साथ ही अपने गंतव्य की ओर वापसी भी शुरू होने लगती है। कांवड़ मेला अब अपने चरम काल की तरफ बढ़ने लगा है। उत्तर भारत की इस सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा के दौरान शिवभक्तों की भारी भीड़ के आखिरी पांच दिन बुधवार से शुरू हो गए। दिल्ली के कांवड़ियों की भीड़ हाइवे से गुजरते हुए कम होने लगी है। दो दिनों में अब हरियाणा और दिल्ली के कांवडियों के आगमन को जोर ही बना रहेगा। गंगा नगरी में आलम यह है कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले सभी आश्रय स्थलों, मन्दिरों, पंचायत घरों, स्कूल और कॉलेजों के साथ साथ होटलों एवं अस्पतालों के परिसरों में भी कांवड़ियों ने अपना कब्जा तक लिया है। इसके बाद सड़कों पर डाक कांवड़यों का शोर ही नजर आया । इनमें हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के शिवभक्तों के बीच होड़ बनी नजर आई। प्रशासन ने डाक कांवड़ों के लिए भी व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है।