जागरण विशेष: लेखपाल की लापरवाही ने दो किसानों को बनाया करोड़पति
लेखपाल की लापरवाही से दो महिला किसान एक ही दिन में करोड़पति बन गईं। एनएचएआई द्वारा की जा रही जमीन अधिग्रहण के मामले में एडीएम(एलए) गाजियाबाद ने दोनों महिला किसानों को अधिक भुगतान कर दिया। शिकायत मिलने पर दोबारा जांच रिपोर्ट के बाद एडीएम ने दोनों महिला किसानों से 2.11 करोड़ रुपये वापसी के लिए जिलाधिकारी को आरसी जारी कर दी। एडीएम(एलए) की रिपोर्ट के बाद एसडीएम हापुड़ ने तहसीलदार को लेखपाल के खिलाफ जांच सौंप दी है।
गौरव भारद्वाज, हापुड़:
लेखपाल की लापरवाही ने दो महिला किसानों को एक ही दिन में करोड़पति बना दिया। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे जमीन अधिग्रहण के संदर्भ में लेखपाल द्वारा गलत रिपोर्ट देने के कारण एडीएम (एलए) कार्यालय से दो महिला किसानों को अधिक भुगतान कर दिया। गलती की जानकारी होने के बाद एडीएम (एलए) ने दोनों महिला किसानों से 2.11 करोड़ रुपये वापस करने के लिए आरसी जारी कर दी है। आरसी जिलाधिकारी कार्यालय में भेज दी गई है। इसके बाद उपजिलाधिकारी ने तहसीलदार को मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को चौड़ा करने का कार्य चल रहा है। इसके लिए जनपद के 30 से अधिक गांवों के किसानों की जमीन अधिगृहीत की जा रही है। जमीन अधिग्रहण के मामले में करोड़ों का खेल चल रहा है। इस दौरान लेखपाल की भारी लापरवाही के कारण दो महिला किसानों को उनकी भूमि से अधिक भुगतान कर दिया गया। अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने लेखपाल द्वारा गलत रिपोर्ट देने के कारण गांव रसूलपुर बहलोलपुर निवासी रजनी पत्नी सुधीर कुमार और नीतू पत्नी सुनील कुमार को 2 करोड़ 11 लाख 31 हजार 482 रुपये का अधिक भुगतान कर दिया। भूमि के खसरा नंबर में महिला किसानों के सह खातेदारों की शिकायत पर मामले की जांच की गई तो शिकायत उचित मिली। इसके बाद अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) मदन सिंह गब्र्याल ने दोनों महिला किसानों को किए गए गलत भुगतान की वसूली करने के लिए आरसी जारी की है। उन्होंने आरसी जिलाधिकारी कार्यालय में भेज दी है। अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने कहा कि दोनों महिला किसानों को मुआवजे के लिए अधिक धनराशि का भुगतान हो गया है। दोनों महिला किसानों से चैक या ड्राफ्ट के माध्यम से उन्हें गलत दी गई धनराशि वापस ली जाएगी।
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--ऐसे हुआ मामले का पर्दाफाश
हापुड़ तहसील के गांव रसूलपुर बहलोलपुर निवासी रामवीर सिंह ने गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) को पिछले दिनों एक शिकायती पत्र दिया। उन्होंने पत्र में कहा कि उनकी जमीन गांव शाहपुर जट में है। जिसका खसरा नंबर 638 है। इस खसरा नंबर में 1.520 हेक्टेयर भूमि है। इस खसरा नंबर में उनके अलावा 14 और खातेदार हैं। शिकायतकर्ता ने कहा कि उनके सह खातेदार बिजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह ओर शांति देवी को मुआवजे के रूप में केवल 1 करोड़ 84 लाख रुपये मिले हैं। दूसरी ओर रजनी और नीतू को लगभग 3 करोड़ 11 लाख रुपये मिले हैं, जबकि दोनों को लगभग 97 लाख रुपये मिलने चाहिए थे। उनकी शिकायत पर अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने तहसील स्तर से दोबारा जांच कराई तो शिकायत सही मिली। इसके बाद रजनी से 1 करोड़ 5 लाख 65 हजार 741 रुपये और इतनी ही राशि नीतू से वसूलने के लिए अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने आरसी जारी की है।
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--शुरुआती जांच में लेखपाल की लापरवाही आई सामने
उपजिलाधिकारी सत्यप्रकाश ने बताया कि जमीनों के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की बात सामने आई है। अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) मदन सिंह गब्र्याल के पत्र के आधार पर गांव शाहपुर जट के लेखपाल चंद्रप्रकाश के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए गए हैं। तहसीलदार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। शुरुआती जांच में लेखपाल की लापरवाही की जानकारी मिली है। जांच रिपोर्ट आने के बाद लेखपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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रुपये मिलने के बाद महिला किसान पहुंचीं उच्च न्यायालय
अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने बताया कि मुआवजे की अधिक धनराशि का भुगतान करने के बाद उसकी वसूली के लिए आरसी जारी कर दी गई है। आरसी मिलने के बाद महिला किसान ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। उच्च न्यायालय ने मामला सिविल न्यायालय को स्थानांतरित करते हुए आदेश दिया है कि न्यायालय का निर्णय आने तक वसूले जाने वाली राशि को फिक्स्ड डिपॉजिट कर दिया जाए, ताकि निर्णय के बाद उसके असली दावेदार को भुगतान किया जा सके।
----------------------- --लेखपाल ने स्वयं को बताया निर्दोष
गांव शाहपुर जट के लेखपाल चंद्रप्रकाश का कहना है कि अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) द्वारा जारी पत्र उन्हें मिला था। इस पत्र में मौके की स्थिति की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। उन्होंने मौके की जांच कर रिपोर्ट बनाकर भेज दी थी। उसमें लिखा था कि खातेदारों ने अभी तक जमीन की विधिक कुरेबंदी नहीं कराई है। वह आपसी सहमति के आधार पर जमीन जोत रहे हैं। मुआवजे का वितरण किस आधार पर किया जाए, इस संबंध में वह नहीं बता सकते हैं। दूसरी जांच नायब तहसीलदार द्वारा कराई गई। इसके बाद खातेदारों को अंश के आधार पर मुआवजा वितरित किया गया।