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बीमार हुई माटी: जीवांश कार्बन, कॉपर और सल्फर की मात्रा घटी

किसानों की मनमानी से मिट्टी की सेहत खराब होने के परिणाम मॉडल गांवों में भी सामने आए हैं। चारों मॉडल गांव में हाल ही में बांटे गए मृदा स्वास्थ्य कार्डों में मिट्टी की रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। जीवांश कार्बन कॉपर और सल्फर जैसे पोषक तत्वों की कमी आई है। यानि खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य खराब पाया गया है। कृषि विभाग ने किसानों को चेतावनी दी है कि यदि अब नहीं सुधरे तो आने वाले समय में मिट्टी की सेहत और खराब हो जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 04:51 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:07 AM (IST)
बीमार हुई माटी: जीवांश कार्बन, कॉपर और सल्फर की मात्रा घटी
बीमार हुई माटी: जीवांश कार्बन, कॉपर और सल्फर की मात्रा घटी

गौरव भारद्वाज, हापुड़:

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किसानों की मनमानी से मिट्टी की सेहत खराब होने के परिणाम मॉडल गांवों में भी सामने आए हैं। चारों मॉडल गांव में हाल ही में बांटे गए मृदा स्वास्थ्य कार्डों में मिट्टी की रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। जीवांश कार्बन, कॉपर और सल्फर जैसे पोषक तत्वों की कमी आई है। यानि खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य खराब पाया गया है। कृषि विभाग ने किसानों को चेतावनी दी है कि यदि अब नहीं सुधरे तो आने वाले समय में मिट्टी की सेहत और खराब हो जाएगी।

प्रयोगशाला प्रभारी ओमकार सिंह राणा ने बताया कि राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (नेशनल मिशन फॉर ससटेनेबल एग्रीकल्चर) योजना के तहत जनपद के प्रत्येक विकास खंड में एक मॉडल गांव का चयन किया गया था। इनमें धौलाना से दौलतपुर टीकरी, हापुड़ से जरौंठी, सिभावली से फरीदपुर गौसाई और गढ़मुक्तेश्वर से अब्दुल्लापुर का चयन हुआ। चारों मॉडल गांवों से जोत आधारित 640 मृदा नमूने लिए गए। जिनका मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में 12 पैरामीटर पर विश्लेषण किया गया। विश्लेषण की रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली आई है। चारों गांवों की मिट्टी की रिपोर्ट में तीन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी आई है। इनमें जीवांश कार्बन की मात्रा महज .25 प्रतिशत पाई गई है। जबकि मिट्टी में इसकी मात्रा .51 से .80 प्रतिशत तक होनी चाहिए। इसके अलावा कॉपर की मात्रा .15 पीपीएम पाई गई है। जबकि मिट्टी में इसकी मात्रा .20 पीपीएम से .40 के मध्य होनी चाहिए। इसी तरह सल्फर की मात्रा 3.89 पीपीएम मिली है। जबकि मिट्टी में इसकी मात्रा 10. से 15. के मध्य होनी चाहिए।

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क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ

कृषि विशेषज्ञ सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन वातावरण और जल से मिलते हैं, जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर, जिक, आयरन, बोरान, मैग्नीज, कॉपर, मालीबेडनम और क्लोरीन अन्य स्त्रोतों से पूरा किया जाता है। इनमें से किसी भी तत्व की कमी से फसल एवं पौधों को नुकसान पहुंचता है। मसलन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की कमी होने पर इनकी वृद्धि रुक जाती है। कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व होते हैं, यह भी फसल की पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। जिक, आयरन, कापर, मैग्नीज, बोरान, मालीबेडनम, क्लोरीन की फसल और पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बोरान की कमी होने पर धान और गेहूं की फसल में बालियां तो लग जाती हैं, लेकिन दाने नहीं पड़ते हैं।

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इन कारणों से हो रही पोषक तत्वों की कमी

- फसल चक्र न अपनाना।

- गोबर, हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, नाडेप कंपोस्ट आदि के इस्तेमाल में कमी।

- मृदा परीक्षण कराए बिना अंधाधुंध उर्वरकों का इस्तेमाल आदि।

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इन गांवों से लिए गए मिट्टी के नमूने

विकास खंड गांव का नाम मिट्टी नमूने मृदा कार्ड

हापुड़ जरौंठी 132 132

धौलाना दौलतपुर ढीकरी 167 167

सिभावली फरीदपुर गौसाई 173 173

गढ़मुक्तेश्वर अब्दुल्लापुर 168 168

कुल योग 04 640 640

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क्या कहते हैं अधिकारी

किसानों को गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। उर्वरक का उपयोग ज्यादा न करें। बर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करें। दलहन की खेती भी करें। किसानों को जागरुक करने के लिए अक्टूबर, दिसंबर और फरवरी माह में किसान मेला आयोजन किए जाते हैं। अब अगले माह मॉडल गांवों में किसान मेला आयोजित कर किसानों को जागरुक किया जाएगा।

डॉ. वीबी द्विवेदी, उपकृषि निदेशक


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