कोरोना काल में घर पर ही करेंगे मूर्ति विसर्जन
26 एचपीआर 21 - संवाद सहयोगी पिलखुवा कोरोना संकट काल में लोगों की जिदगी के साथ रीति- रि
26 एचपीआर 21 -
संवाद सहयोगी, पिलखुवा:
कोरोना संकट काल में लोगों की जिदगी के साथ रीति- रिवाज और धार्मिक कार्यों में भी बदलाव आया है। हर साल भीड़- भाड़ के साथ होने वाले गणेश विसर्जन पर इस बार पाबंदी है। हालांकि गंगा को स्वच्छ रखने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से ही नहर-नदियों में मूर्ति विसर्जन पर रोक है। इसके चलते गड्ढा खोदकर या प्रशासन द्वारा अलग से एक स्थान बना दिया जाता था, जिसमें भक्त मूर्ति विसर्जन करते थे। इस बार इस पर भी पाबंदी है। इसके चलते श्रद्धालु घर में ही मूर्ति विसर्जन कर सकते हैं।
पंडित संतोष तिवारी के मुताबिक भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी अधिकांश गणपति पूजा महोत्सव त्योहार महाराष्ट्र में मनाते हैं, क्योंकि वहां गणपति और अनंत कार्तिक का मिलन हुआ था। गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यह महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्तों को चाहिए कि केमिकल ,प्लास्टिक ,पीओपी ,फाइबर आदि द्वारा बनी गणेश की मूर्तियां हम बाजार से बिल्कुल न लाएं, क्योंकि उनकी पूजा से पुण्य की जगह पाप ही होगा। पहली बात तो इनकी पूजा का शास्त्र में विधान नहीं, दूसरा उनको जिस जल में प्रवाहित करेंगे, वह जल भी प्रदूषित होगा और जल के जीव जन्तु मरेंगे, जिसका पाप भक्त को लगेगा। स्कंद पुराण या गणेश पुराण इत्यादि ग्रंथों के अनुसार पीली मिट्टी के गणेश जी शुभ माने गए हैं। इसलिए पीली मिट्टी और देसी गाय के गोबर को मिलाकर गणेश की सुंदर रचना करें, उस पर चूना और गेरू द्वारा उनका श्रृंगार ,दुर्वा का मुकुट बनाया जाए। इस तरह से ऐसे गणपति को घर में पीले कपड़े के ऊपर विराजमान करके प्रतिदिन चंदन अक्षत कनेर पुष्प ,गणेश के बारह नाम के द्वारा 12 दुर्वा चढ़ाएं या माला बनाकर चढ़ाएं। दीपक, ज्योति, बत्ती करके लड्डू इत्यादि का भोग समर्पण करें। गणेश कथा, गणेश मंत्र, भजन कीर्तन चितन करते हुए भजन आनंद महोत्सव मनाए। इस तरह से अनंत चतुर्दशी तक गणपति पूजा कर सकते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन ब्राह्मण द्वारा विसर्जन विधि से पूजा हवन करा कर बहते जल में प्रवाहित करें अथवा प्रशासन द्वारा रोक होने पर घर में ही एक टब में जल भरकर और उसमें गंगा जी के नाम से पूजन करके उसमें मिट्टी के गणेश को रख सकते हैं। कुछ समय बाद जब वह गल जाएं तो उन्हें कहीं मिट्टी में दबा दें। तुलसी के पौधे को छोड़कर किसी भी पौधे में रख दें, क्योंकि तुलसी गणेश पर नहीं चढ़ती।