हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के फेर में फंसी आरसी
नए वाहन स्वामियों को समय से हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं मिल पा रही है। इस कारण वाहन स्वामी आरसी के लिए भटक रहे हैं। इसके पीछे शोरूम संचालकों की उदासीनता सबसे अधिक है। क्योंकि उन्हीं के स्तर से हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट मिलने में देरी हो रही है। नए नियमों के मुताबिक हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट जारी होने के बाद ही अब नए वाहन की आरसी दी जाती है। इस नंबर प्लेट को लगाने का कार्य भी संबंधित कंपनी द्वारा किया जाता है। नंबर प्लेट के लिए सात डिजिट का यूनिक कोड जारी होता है। जिसे कंपनी द्वारा अपलोड करने के बाद ही उपसंभागीय कार्यालय में वाहन की आरसी के लिए प्रक्रिया आगे चलती है। जब
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
नए वाहन स्वामियों को समय से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं मिल पा रही है। इस कारण वाहन स्वामी आरसी के लिए भटक रहे हैं। इसके पीछे शोरूम संचालकों की उदासीनता सबसे अधिक है, क्योंकि उन्हीं के स्तर से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट मिलने में देरी हो रही है।
नए नियमों के मुताबिक हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जारी होने के बाद ही अब नए वाहन की आरसी दी जाती है। इस नंबर प्लेट को लगाने का कार्य भी संबंधित कंपनी द्वारा किया जाता है। नंबर प्लेट के लिए सात डिजिट का यूनीक कोड जारी होता है, जिसे कंपनी द्वारा अपलोड करने के बाद ही उपसंभागीय कार्यालय में वाहन की आरसी के लिए प्रक्रिया आगे चलती है। जब तक संबंधित वाहन की कंपनी के शोरूम संचालक द्वारा यह सात डिजिट का यूनीक कोड जारी नहीं होता है, तब तक आरसी की प्रक्रिया आगे नहीं चल सकती है। इस कारण ही नए वाहन स्वामियों को समय से आरसी नहीं मिल पा रही है। बता दें कि इस नंबर को जारी करने में कंपनियों द्वारा उदासीनता बरती जा रही है। जिले में करीब 27 वाहन डीलर हैं। दो पहिया वाहन के लिए करीब 450 रुपए और चार पहिया वाहन के लिए करीब एक हजार रुपए की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट मिलती है। जनपद में करीब तीन सौ नए वाहनों की आरसी अटकी हुई है।
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अब ऐसे मिलती है नंबर प्लेट -
वाहनों की सुरक्षा के लिए ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की शुरुआत की गई है। अब नंबर प्लेट देने की पूरी जिम्मेदारी वाहन डीलरों को सौंपी गई है। डीलर को वाहन पर नंबर प्लेट लगाकर उसे उपसंभागीय कार्यालय के सिस्टम पर अपलोड करना होता है। इसके बाद ही आरसी निकलती है।
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यह है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट -
क्रोमियम होलोग्राम वाली हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट में सात डिजिट का लेजर कोड यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है। कोई हादसा या आपराधिक वारदात होने पर इस नंबर के जरिए वाहन और इसके मालिक के बारे में तमाम जानकारियां उपलब्ध होंगी। कई बार अपराधी वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ छेड़छाड़ कर भी फायदा उठा लेते हैं, लेकिन इस नंबर प्लेट पर ऐसा करना संभव नहीं होगा। क्योंकि यह नंबर न तो पेंट और न ही कोई स्टीकर से लिखा होगा। नंबर को प्लेट पर प्रेशर मशीन से लिखा जाता है, जो कि प्लेट पर उभरा हुआ दिखेगा।
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परेशान लोगों से बातचीत -
- कुछ दिन पहले नई कार खरीदी थी लेकिन, हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट की देरी के कारण आरसी नहीं मिल पा रही है। इस कारण परेशान होना पड़ रहा है। -अन्नू
- करीब 12 दिन पहले कार खरीदी थी। नियमों के अनुसार एक सप्ताह में आरसी मिल जानी चाहिए। आरसी ना मिलने के कारण दूसरे जनपदों में वाहन का संचालन नहीं कर पा रहा हूं। - चिराग
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क्या कहते हैं अधिकारी -
विभागीय स्तर पर आरसी देने में कोई परेशानी या देरी नहीं की जा रही है। संबंधित कंपनियों के डीलरों के यहां से ही अब हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट मिलती है। - राजेश कुमार श्रीवास्तव, एआरटीओ प्रशासन