शीतगृहों पर लटका हाउसफल का बोर्ड, 1.25 लाख मीट्रिक टन आलू पहुंचा
मार्च के अंतिम सप्ताह में आलू की खुदाई शुरू हुई थी। अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक करीब 1.25 लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरों में पहुंच गया। इससे हालात यह है कि जिले के सभी 15 कोल्ड स्टोरों में हाउस फुल का बोर्ड लटका हुआ है। इस बार बंपर पैदावार हुई है और किसानों ने भी आलू भंडारण में अधिक रुचि दिखाई है। इस कारण मंडी में आलू की आव
जागरण संवाददाता, हापुड़:
बाजार में आलू की आवक कम होने के कारण खुदरा और थोक दामों में वृद्धि होने लगी है। इस स्थिति को देखकर किसानों के चेहरे पर प्रसन्नता और संतोष के भाव हैं। किसानों ने अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक लगभग 1.25 लाख मीट्रिक टन आलू शीतगृहों में रख दिया है। किसानों द्वारा अधिकतर आलू शीतगृहों में रखे जाने के कारण जनपद के सभी शीतगृहों पर हाउस फुल का बोर्ड लटका है। आलू की जबरदस्त पैदावार होने के बावजूद किसानों ने इस वर्ष आलू का शीतगृहों में भंडारण करना बेहतर समझा है।
जनपद में 35 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुवाई की गई थी। आलू की खुदाई मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू हुई और अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक सारा आलू शीतगृहों पर पहुंचा दिया गया। किसान आलू का भंडारण करने के बाद अब गेहूं को घर लाने में लगे हैं। शीतगृहों में भारी मात्रा में भंडारण किए जाने के कारण मंडी में आलू की आवक कम हो गई। इससे बाजार में आलू के दामों में उछाल आ गया। थोक बाजार में आलू की कीमत लगभग दो सौ रुपये बढ़ गई जबकि खुदरा मूल्य में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई। दो सप्ताह पहले तक खुदरा बाजार में आलू 10 रुपये प्रति किग्रा की दर से बिक रहा था, अब वह 15 रुपये प्रति किग्रा मिल रहा है। आढ़तियों का कहना है कि आलू के कुल उत्पादन का 95 प्रतिशत हिस्से का भंडारण किया गया है। शेष आलू मंडी में बेचा जा रहा, लेकिन मंडी में मांग से काफी कम आलू पहुंच रहा है। दामों में वृद्धि होते देख किसान भी थोड़ा-थोड़ा आलू मंडी ले जा रहा है। इस हिसाब से आशा है कि लगभग मई तक बाजार में आलू आता रहेगा। इसके बाद यदि किसानों ने शीत गृहों से आलू निकाल कर बाजार में नहीं बेचा तो बाजार में आलू की किल्लत हो जाएगी। इस कारण मूल्य और बढ़ जाने की संभावना है।
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वार्षिक किराया तय होने से हो रही निकासी में देरी -
गांव दोयमी के किसान सहदेव ने बताया कि जनपद हापुड़ के शीत गृहों में भंडारण करने का किराया वर्ष में एक बार वसूल किया जाता है। किराये की दर भी वार्षिक ही निर्धारित की जाती है। अन्य आलू उत्पादक जनपदों में यह किराया मासिक अथवा त्रैमासिक दर से निर्धारित किया जाता है। इन जनपदों के किसान तीन महीने का किराया जमा कराकर आलू की निकासी कर बाजार में बेच देता है। इस कारण वहां के किसानों पर अधिक भार नहीं पड़ता। जनपद हापुड़ में एक बार शीत गृहों में आलू रख दिए जाने के बाद किसान को पूरे वर्ष का किराया जमा करने के बाद ही आलू निकाल पाएगा, चाहे उसे एक माह बाद ही आलू शीतगृह से निकालना हो। इस कारण किसान वर्ष के बीच में आलू नहीं निकाल पाते हैं और इस कारण उसे कभी-कभी नुकसान भी हो जाता है।
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--क्या कहते हैं लोग -
आलू के दामों में वृद्धि हो गई है, लेकिन अभी भंडारण का शुल्क देने के बाद बाजार में आलू बेचने से किसान को विशेष लाभ नहीं हो रहा है। दो-तीन महीने बाद आलू को बाजार में बेचने के बारे में सोचेंगे। जो भी भाव होगा देखा जाएगा। अभी बेचना घाटे का सौदा है। -- बिजेंद्र त्यागी, किसान
किसानों को पिछले कई वर्ष से आलू की फसल में नुकसान हो रहा है। आलू की निकासी देर से होने में अक्सर जोखिम रहता है। किसान के सामने मजबूरी है कि यदि वह फिलहाल शीतगृहों का किराया देकर आलू बेचता है तो उसे कुछ नहीं बचेगा। -- नवीन प्रधान, किसान
आलू का दाम ठीक है। अभी कुछ दिनों में क्षेत्रीय आलू भी मंडी में आना बंद हो जाएगा। इसके बाद भाव में उछाल आने की संभावना है। आलू का दाम आम के उत्पादन से प्रभावित होता है। आम की फसल अच्छी हुई तो गर्मी में आलू का भाव स्थिर रहेगा। --- राधेलाल, आढ़ती
क्या कहते हैं आलू के व्यापार के जानकार :
आलू किसानों को शीतगृहों में रखा अपना आलू तीन बार में बेचना चाहिए। इसके लिए मई, जुलाई, और सितंबर माह में आलू बेचा जाना चाहिए। इससे आलू में नुकसान होने की संभावना कम होती है। यदि एक बार में आलू बेचने में उसके दाम कम मिलते हैं तो दूसरी बार में अच्छे दाम मिलने की संभावना रहती है। अक्सर देखा जाता है कि किसान अपना सारा आलू सितंबर तक रखते हैं। इससे उनका जोखिम बढ़ जाता है। सितंबर और अक्टूबर में अगर बाजार में भाव कम होता है तो किसानों को जल्दबाजी में उधार भी माल बेचने के लिए भी मजबूर होना पड़ता है। उस समय तक आलू कुछ सूख भी जाता है, जिससे उसका वजन कम होता है। --ऋषिपाल, प्रबंधक, श्रवण कोल्ड स्टोर -----------
बाजार में आलू का दाम
प्रजाति - भाव (रुपये में)
हाईब्रिड - 350 -400
कुफरी बहार - 400- 450
चिपसोना - 500- 550
सूर्या - 500 -600
(भाव रुपये प्रति पचास किलो हैं)