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अंग्रेजी शराब के नाम पर माफिया बेंच रहे जहर

क्षेत्र में नकली शराब को रोकना आबकारी और पुलिस विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। शराब माफिया इतने शातिर हो चुके हैं कि देशी और कच्ची ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी शराब में भी व्हिस्की, रम से लेकर स्कॉच तक तैयार कर रहे हैं। इसके लिए पुरानी बोतलों के ऊपर नया लेबल लगाकर उसमें नकली शराब भरकर बेचा जा रहा है। पंजाब, अरूणांचल, हरियाणा राज्य की शराब के लेबल तैयार करा ग्रामीण क्षे9त्र में बड़े स्तर पर इस की स्पलाई हो रही है। पिछले आठ दिनों में सर्किल के तीनों

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 06:56 PM (IST)
अंग्रेजी शराब के नाम पर माफिया बेंच रहे जहर
अंग्रेजी शराब के नाम पर माफिया बेंच रहे जहर

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : क्षेत्र में नकली शराब के कारोबार को रोकना आबकारी और पुलिस विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। शराब माफिया अंग्रेजी शराब की बोतलों पर लेबल लगाकर उसमें नकली शराब भरकर बेच रहे हैं। पंजाब, अरुणांचल प्रदेश, हरियाणा राज्य की शराब के लेबल तैयार कर ग्रामीण क्षेत्र में बड़े स्तर पर इसकी सप्लाई हो रही है। पिछले आठ दिनों में सर्किल के तीनों थाने में इस प्रकार की शराब भारी मात्रा में बरामद की गई है।

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ऐसे होता है पूरा खेल : माफिया अंग्रेजी शराब की पुरानी बोतलों को कबाड़ की दुकान से खरीदते हैं। इसके बाद उसे उबलते पानी में डालकर कार्क निकाल लते हैं और बोतल में नकली शराब भर देते हैं।

अल्कोहल और एसेंस से बनती है शराब : कुछ माफिया सरकारी शराब की दुकान पर बिकने वाली बोतलों को लेकर उसमें से आधी शराब निकालकर

दूसरी बोतल तैयार कर बेचते हैं। इसमें वह थोड़ी स्प्रिट और पानी के साथ

एसेंस मिलाते हैं। वहीं कुछ माफिया अल्कोहल में पानी और एसेंस मिलाकर शराब तैयार करते हैं। इसके साथ ही खाने वाले रंग से शराब तैयार की जाती है।

रम तैयार करने के लिए करते हैं लौंग का प्रयोग : सूत्र बताते हैं कि रम बनाने के लिए लौंग का प्रयोग होता है। लौंग को भूनकर, पीसकर पानी में उबाला जाता है। इससे उसका रंग भूरा हो जाता है। इससे रम का पूरा फ्लेवर भी आ जाता है। इसमें अल्कोहल और स्प्रिट का प्रयोग किया जाता है।

लगा देते हैं मुहर : शराब के हर ब्रांड की लेबल ¨प्र¨टग प्रेस पर छप जाता है। इसके पै¨कग बॉक्स भी तैयार कराये जाते हैं। कुछ लोग इसके ऊपर 'ओनली सेल फोर हरियाणा' या 'ओनली सेल फॉर अरुणांचल' या 'ओनली सेल फॉर

पंजाब की मुहर लगा देते हैं, जिससे इसके असली होने का आभास होता है।

जरा सी चूक बन जाती है जानलेवा : इस शराब को तैयार करने में जो अल्कोहल प्रयोग होता है, उसकी मात्रा जरा सी ज्यादा होना से वह हानिकारक हो जाता है। शराब माफिया कभी-कभी

इथाइल की जगह मिथाइल का भी प्रयोग करते हैं, जो जानलेवा होता है।

होली और चुनाव के लिए स्टॉक हो रहा तैयार : अगले माह होली के साथ ही लोकसभा चुनाव का माहौल बनेगा। ऐसे में शराब की बिक्री पर जोर होगा। इसी की तैयारी में शराब माफिया जुटे हैं। अब चुनाव में कच्ची और देशी कम, अंग्रेजी शराब ज्यादा चलने लगी है। यही कारण है कि शराब माफियाओं के माध्यम से प्रत्याशी सस्ती शराब से अपना चुनाव साधने पर जोर देते हैं।

ज्यादा बिकने वाले ब्रांड पर जोर : नकली शराब बनाने वाले बाजार में जिस ब्रांड की मांग सबसे ज्यादा होती है। उसकी बोतल ही रीफिल करते हैं। इसके लिए वह उसके ढक्कन तैयार कर उसे सील कर देते हैं।

अंग्रेजी शराब बनाने में इथाइल अल्कोहल का प्रयोग होता है। डिस्टलरी की लैब में उसकी टे¨स्टग के बाद मानक तय होता है और उसकी तीव्रताआदि कम की जाती है। नकली शराब बनाने में अल्कोहल रिफाइन नहीं होता है। यहशराब आंख, लीवर, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाती है।

डा संजीव कुमार, डिप्टी सीएमओ क्षेत्र में कच्ची शराब के अलावा बाहरी राज्यों से आने वाली अवैध शराब तथा यहां पर लेबल लगा कर बनाई जाने वाली नकली शराब की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया जाता है। टीम द्वारा पिछले आठ दिन में दो हजार लीटर से अधिक कच्ची शराब के अलावा गैर राज्यों की शराब भी बरामद की गई है।

सीमा कुमारी, आबकारी निरीक्षक


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