कोल्हू पर सस्ते गन्ने बेचने के लिए मजबूर हुआ किसान
चीनी मिलों के न चलने पर किसान सस्ते दामों में कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर हो रहे हैं। जिसके चलते कोल्हू मालिकों की चांदी कट रही है। क्षेत्र में अभी तक चीनी मिल को चालू नहीं होने की बात कही जा रही है। जिसके चलते इस बार गन्ना काश्तकारों को गेंहू की बुवाई करने में परेशानी होने की बात सामने आ रही है। पेड़ी व सेड़ी गन्ने की जमीन में गेंहू की बुवाई करने वाले किसानों को मजबूरन गन्ना कोल्हू पर डालना पड़ रहा है।
¨प्रस शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर : चीनी मिलों के न चलने पर किसान सस्ते दामों में कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर हो रहे हैं। जिसके चलते कोल्हू मालिकों की चांदी कट रही है। क्षेत्र में अभी तक चीनी मिल को चालू नहीं होने की बात कही जा रही है। जिसके चलते इस बार गन्ना काश्तकारों को गेहूं की बुवाई करने में परेशानी होने की बात सामने आ रही है। पेड़ी व सेड़ी गन्ने की जमीन में गेहूं की बुवाई करने वाले किसानों को मजबूरन गन्ना कोल्हू पर डालना पड़ रहा है।
¨सभावली के गांव सिखेड़ा स्थित कोल्हू के कारीगर राजवीर ने बताया कि अरली गन्ना 250 से 260 रुपये कुंतल तक खरीदा जा रहा है। सितंबर गुजरने में पंद्रह दिन का समय बाकी है, लेकिन चीनी मिलों में पेराई शुरू न होने की वजह से गन्ना किसान कोल्हू पर अपना गन्ना आधी से कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं। जरूरत के चलते किसान नगद दाम मिलने के चक्कर में गन्ने की उपज पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही बेच दे रहे हैं। किसानों को बाजिव मूल्य भी नहीं मिल रहा। क्षेत्र में 32 हजार हेक्टेयर रकबे में गन्ने की बुवाई की गई है। यह गन्ना क्षेत्र की चीनी मिलों सहित आस-पास अन्य की चीनी मिलों में पेराई के लिए भेजा जाता है। चीनी मिलों में पेराई शुरू न होने की वजह से किसानों ने कोल्हुओं पर गन्ना बेचना शुरू कर दिया है। क्षेत्र में करीब सौ से अधिक कोल्हू हैं। इसमें दो दर्जन से अधिक कोल्हू शुरू हो गए है। जबकि गन्ना विभाग के रिकार्ड के मुताबिक, गत वर्ष केवल 93 कोल्हू ही क्षेत्र में थे। बता दें कि गत वर्ष शासन की ओर से 325 रुपये गन्ना मूल्य घोषित किया गया था। यदि इस रेट पर गरीब और कमजोर किसानों का गन्ना खरीद लिया जाए तो किसानों को काफी राहत मिले। लेकिन चीनी मिलों द्वारा गन्ना मूल्य का भुगतान लेटलतीफी करने और किसानों की जरूरत के चलते फसल पहले बेचने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं किसान
गन्ना मिल द्वारा किसानों को भुगतान नहीं दिए जाने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को अपने जरूरतमंद कार्यों को पूरा करने के लिए कम रेटों पर गन्ना बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसान महेश केवट
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मिल चालू न होने के कारण दिक्कत आ रही है। किसानों को अपने कर्ज चुकाने और घर के रोजमर्रा
के कार्य को करने के लिए कम रेटों पर गन्ना बेचना पड़ रहा है।
असलम राईन -----------
क्या कहते हैं अपर जिलाधिकारी
अक्तूबर में मिलों का संचालन शुरू हो जाए इसके लिए मिल प्रबंधकों से वार्ता की है। किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
जयनाथ यादव, अपर जिलाधिकारी