Move to Jagran APP

ईओ के बदलते ही कांप्लेक्स का विद्युतीकरण अधर में लटका

शासन की संगठित आवासीय एवं कामर्शियल योजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी नगर पालिका परिषद में बने कांप्लेक्स का बारह साल में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। विद्यतीकरण न होने के कारण कांप्लेक्स बदहाल है। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी आरके प्रसाद ने कांप्लेक्स के विद्युतीकरण को लेकर गंभीरता बरती थी और काफी हद तक कामयाबी मिल गई थी, लेकिन अचानक उनका तबादला हो गया और उनके तबादले के साथ विद्युतीकरण की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जबकि वर्ष 2017 में चली कार्रवाई से लगने लगा था कि कांप्लेक्स के दिन बहुरने वाले हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 02:27 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 02:27 PM (IST)
ईओ के बदलते ही कांप्लेक्स का विद्युतीकरण अधर में लटका
ईओ के बदलते ही कांप्लेक्स का विद्युतीकरण अधर में लटका

संजीव वर्मा, पिलखुवा: शासन की संगठित आवासीय एवं कामर्शियल योजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी नगर पालिका परिषद में बने कांप्लेक्स का बारह साल में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। विद्युतीकरण न होने के कारण कांप्लेक्स बदहाल है।

loksabha election banner

तत्कालीन अधिशासी अधिकारी आरके प्रसाद ने कांप्लेक्स के विद्युतीकरण को लेकर गंभीरता बरती थी और काफी हद तक कामयाबी मिल गई थी, लेकिन अचानक उनका तबादला हो गया। उनके तबादले के साथ विद्युतीकरण की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जबकि वर्ष 2017 में चली कार्रवाई से लगने लगा था कि कांप्लेक्स के दिन बहुरने वाले हैं। 2007 में बना था कांप्लेक्स

शासन की संगठित आवासीय एवं कमर्शियल योजना के तहत वर्ष 2007 में नगर पालिका परिषद ने करोड़ों रुपये खर्च कर शैलेष फार्म कॉलोनी व नगर पालिका परिषद में कांप्लेक्स का निर्माण कराया गया था। करीब 94 दुकानों का निर्माण हुआ था। कई बड़े हॉल तैयार किए गए थे। 94 में से 55 दुकानों की आज तक नीलामी नहीं हो सकी है। जिसका मुख्य कारण कांप्लेक्स का विद्युतीकरण नहीं होना है। विद्युतीकरण को तैयार हो गया था ऊर्जा निगम

कांप्लेक्स निर्माण के दौरान नगर पालिका परिषद द्वारा शैलेष फार्म कॉलोनी व कांप्लेक्स में विद्युतीकरण के लिए एक करोड़ सात लाख रुपये दिए गए थे। जिनमें से ऊर्जा निगम ने 87 लाख रुपये का कार्य किया और बीस लाख रुपये दबा लिए थे। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी आरके प्रसाद ने फाइलों को अवलोकन कर ऊर्जा निगम से बीस लाख रुपये 18 प्रतिशत ब्याज सहित वापस मांगे। जिस पर ऊर्जा निगम में हड़कंप मच गया। मामला तत्कालीन जिलाधिकारी तक पहुंचा और जिलाधिकारी ने दोनों विभागों के अधिकारियों को बुलाकर समाधान के निर्देश दिए। जिस पर ऊर्जा निगम कांप्लेक्स का विद्युतीकरण करने के लिए तैयार हो गया था। एक साल में जमा नहीं हो सका सुपरविजन चार्ज

दस अक्टूबर 2017 को जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद दोनों विभागों के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। जिसमें ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता केपी पुरी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि कांप्लेक्स के लिए 1440 किलोवाट भार स्वीकृत हुआ था। इस भार को दो किस्तों में लिया जा सकता है। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी आरके प्रसाद ने किस्तों में भार लेने के लिए निगम के पश्चिमांचल एमडी को पत्र लिखा और 250-250 केवीए के दो ट्रांसफार्मर कांप्लेक्स के विद्युतीकरण के लिए स्वीकृत हो गए थे। इसके एवज में पालिका को सुपरविजन चार्ज जमा करना था। इससे पहले कार्रवाई आगे बढ़ती कि ईओ आरके प्रसाद का बनारस तबादला हो गया और कांप्लेक्स विद्युतीकरण का कार्य अधर में लटका गया। वर्तमान में क्या चल रही कार्रवाई

नगर पालिका परिषद के मौजूदा अधिशासी अधिकारी विकास कुमार का कहना है कि कांप्लेक्स के विद्युतीकरण को लेकर नगर पालिका परिषद गंभीर है। इस बावत शीघ्र फाइलों को अवलोकन कर कांप्लेक्स के विद्युतीकरण की दिशा में काम शुरू किया जाएगा।पिलखुवा विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता केपी पुरी का कहना है कि नगर पालिका को कांप्लेक्स के विद्युतीकरण को लिए 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा करने के लिए पत्र भेजा गया था। चार्ज जमा होते ही विद्युतीकरण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.