आवारा आतंक को कैद करने आई टीम को लगानी पड़ी दौड़
शहर की सड़कों से आवारा आतंक को खत्म करने आई टीम को दौड़ लगानी पड़ी। घंटों की मशक्कत के बाद पहले दिन मात्र 12 कुत्ते ही जाल में कैद हो सके। इन कुत्तों की नसंबदी के बाद वापस उन्हें उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा। अभियान के दौरान सड़क पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
जागरण संवाददाता, हापुड़ :
शहर की सड़कों से आवारा आतंक को खत्म करने आई टीम को दौड़ लगानी पड़ी। घंटों की मशक्कत के बाद पहले दिन मात्र 12 कुत्ते ही जाल में कैद हो सके। इन कुत्तों की नसंबदी के बाद वापस उन्हें उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा। अभियान के दौरान सड़क पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
सड़कों पर खुलेआम घुम रहे कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर पालिका ने कार्य शुरू कर दिया गया। कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करने आई टीम को सोमवार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। दरअसल, टीम अपना वाहन और जाल लेकर रेलवे स्टेशन की ओर पहुंच गई। शुरूआत में टीम ने जाल डालकर चार कुत्तों को चंद ही मिनटों में कैद कर लिया, लेकिन बाद में कुत्तों ने सड़क से दौड़ लगा दी। आलम यह रहा कि कई कुत्ते आसपास की गली-मोहल्लों में घुसकर छिप गए। जबकि अन्य कुत्तों को पकड़ने के लिए टीम को उनके पीछे दौड़ना पड़ा। इसके बाद जाल फेंककर उन्हें पकड़ा गया। बता दें कि रेलवे स्टेशन रोड पर कुत्तों का बहुत अधिक आतंक है। इस कारण यहां से गुजरने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई लोग तो कुत्तों का शिकार भी हो चुके हैं।
अभियान के दौरान सड़क पर लोगों की भीड़ रही। कई लोगों ने तो पूरी कार्रवाई को भी देखा। शहर में कुत्तों की नसबंदी के लिए कई सालों के बाद यह अभियान चलाया जा रहा है। तीन दिनों तक रहेंगे बंदी : जिन कुत्तों को पकड़ा जा रहा है। उन्हें टीम द्वारा गढ़ रोड पर बनाए गए अस्थाई अस्पताल में रखा गया है। यह अस्पताल भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा स्वीकृत है। कुत्तों की नसंबदी कर उन्हें तीन दिनों तक इसी अस्पताल में रखा जाएगा। बाद में इन्हें वापस सड़क पर छोड़ दिया जाएगा। नसबंदी के बाद नहीं काटेंगे: ठेकेदार ने बताया कि कुत्तों की नसबंदी के बाद उनमें बदलाव आ जाता है। जिस कारण उनमें सेक्स को लेकर क्षमता खत्म हो जाती है और वह सुस्त हो जाते हैं। कुत्तों में गुस्सा लगभग खत्म हो जाता है। नसबंदी से कुत्ते पर गलत प्रभाव नहीं पड़ता है।