लॉक नहीं हो रहे बेसहारा गोवंश, राहगीर परेशान
जागरण संवाददाता हापुड़ शहर की सड़कों को बेसहारा गोवंशों से मुक्त कराने के नगर पाि
जागरण संवाददाता, हापुड़ :शहर की सड़कों को बेसहारा गोवंशों से मुक्त कराने के नगर पालिका के दावे खोखले नजर आ रहे हैं। इस कारण आज भी सड़कों पर खुलेआम बेसहारा गोवंश घूमने को मजबूर हैं। वहीं, राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, नगर पालिका द्वारा अस्थाई गोशाला का संचालन किया जा रहा है। यहां तक कि गोवंशों को पकड़ने के लिए एक मशीन भी खरीदी गई थी। बावजूद इसके स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है, जिसका खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त आदेश दिए थे कि सड़कों पर बेसहारा गोवंश न घूमे। अस्थाई के बाद स्थाई गोशाला बनाकर इनका पालन पोषण सुनिश्चित किया जाए क्योंकि बेसहारा गोवंश सड़क पर भोजन के चक्कर में पॉलीथिन खा रहे हैं। साथ ही खेतों को नुकसान पहुंचा रहे थे इसलिए प्रशासन को निर्देश दिए गए थे कि वह शहरों में नगर पालिका, गांवों में जिला पंचायत, ग्राम पंचायत के माध्यम से गोशाला का निर्माण कराए। बावजूद इसके शहरों में स्थिति सुधर नहीं रही है।
बता दें, कि नगर पालिका की ओर से विकास भवन के नजदीक अस्थाई गोशाला का संचालन किया जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान करीब डेढ़ सौ गोवंश शहर से पकड़कर यहां रखे गए थे, लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन के दिन कम होते गए इनकी संख्या भी कम होती जा रही है। यही कारण है कि शहर में बेसहारा गोवंशों की संख्या बढ़ रही है। आए दिन यह गोवंश सड़कों पर लड़ते नजर आते हैं, जिस कारण बहुत से लोगों को चोटें भी लग चुकी हैं।
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खड़ा रहता है वाहन -
नगर पालिका ने लाखों रुपये की लागत से गोवंशों को पकड़कर गोशाला तक पहुंचाने के लिए वाहन खरीदा था। शुरुआत के कुछ दिनों में तो इस वाहन का इस्तेमाल जमकर हुआ, लेकिन अब यह वाहन सड़कों से नदारद रहता है।
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जिले में चल रही हैं 44 गोशालाएं -
जनपद में करीब 44 स्थाई और अस्थाई गोशालाएं चल रही हैं, जिनमें बेसहारा गोवंशों का पालन पोषण हो रहा है। इनके पालन पोषण के लिए शासन से करीब दो करोड़ 55 लाख रुपये की धनराशि आई थी। इसमें से दो करोड़ एक लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।
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क्या कहते हैं अधिकारी -
यदि सड़कों पर बेसहारा गोवंश घूम रहे हैं तो जल्द ही उन्हें पकड़वा लिया जाएगा। नगर पालिका द्वारा अस्थाई गोशाला का संचालन किया जा रहा है, जहां गोवंशों का पालन पोषण हो रहा है। - जितेंद्र कुमार आनंद, अधिशासी अधिकारी