हिम्मत ने दिया लड़ने का जज्बा, तीन तलाक के आगे नहीं झुकीं शन्नो
एक महिला का जीवन का सबसे खूबसूरत पल वह होता है। जब सगे संबंधियों की मौजूदगी में तमाम रस्मों और वर व वधु की रजामंदी के बाद उसका निकाह होता है। लेकिन उसकी खुशियों को ग्रहण उस पल लगता है। जब पति अकेले ही तीन तलाक कहकर उसे पत्नी से रिश्ते से महरूम कर देता है।
केशव त्यागी, हापुड़
एक महिला के जीवन में सबसे खूबसूरत पल वह होता है, जब सगे संबंधियों की मौजूदगी में तमाम रस्मों और वर वधु की रजामंदी के बाद उसका निकाह होता है, लेकिन उसकी खुशियों को ग्रहण उस पल लगता है, जब पति अकेले ही तीन तलाक कहकर उसे पत्नी के रिश्ते से महरूम कर देता है। इसी को लेकर तीन तलाक की शिकार बनीं गढ़मुक्तेश्वर के एक मोहल्ला निवासी महिला ने एक वर्ष पहले अपनी लड़ाई की शुरुआत की। आज भी लाख परेशानी सहकर वह इंसाफ के लिए न्यायालय में लड़ाई लड़ रहीं हैं।
जनपद गाजियाबाद के सेक्टर-23 जागृति विहार निवासी शन्नो बताती हैं कि 18 वर्ष पहले उनका निकाह गढ़मुक्तेश्वर निवासी युवक के साथ हुआ था। शादी के बाद उसने पुत्र समीर, शोएब, सुहान, पुत्री निशा, सुहाना व फुलसुम जहां को जन्म दिया। जिदगी परिवार के साथ खुशी से व्यतीत हो रही थी, लेकिन एक वर्ष पहले मामूली कहासुनी पर पति ने उसे तीन तलाक कह दिया। बच्चों को अपने पास रखकर पति ने उसे घर से बाहर कर दिया। इसके बाद वह मायके में रहने लगी।
न्याय पाने के लिए घर की दहलीज लांघकर पीड़िता थाने पहुंची और पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसी के साथ उसने पति के खिलाफ अपनी लड़ाई का आगाज कर दिया था। पुलिस ने मामले में चार्जशीट लगाकर न्यायालय में दाखिल कर दी। इस बीच सगे संबंधियों से लेकर रिश्तेदारों ने पीड़िता को समझौता करने के लिए कहा, लेकिन पीड़िता समझौते से कहीं आगे निकल चुकी थी। इस लड़ाई में माता-पिता ने पुत्री का हर कदम पर साथ दिया। न्यायालय में इंसाफ की लड़ाई लड़ रही पीड़िता आर्थिक तंगी व अन्य परेशानियों से जूझ रही है। शन्नो बताती हैं कि पति ने उसे तलाक देने के बाद दूसरी शादी भी कर ली है। एक माह पहले पति ने उसके पुत्र समीर व पुत्री निशा को बेरहमी से पीटा, जिसके बाद वह दोनों को अपने मायके ले आई। उसके सभी बच्चे पिता के पास नहीं रहना चाहते हैं। उसे उम्मीद है कि एक दिन उसे न्यायालय से इंसाफ जरूर मिलेगा।