हापुड़ में साइकिल तो गढ़मुक्तेश्वर, धौलाना में नहीं दिखेगा हैंडपंप का निशान
गढ़मुक्तेश्वर सीट पर 1962 से 2017 तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुआ है। वर्ष 2002 2007 और 2012 में सपा का कब्जा रहा है। वर्ष 1985 में लोकदल ने भी इस सीट को जीता था। यहां से बाबू कनक सिंह विधायक रहे थे।
हापुड़ [विशाल]। विधानसभा चुनाव 2022 की ईवीएम मशीनों पर इस बार हापुड़ सीट पर सपा की साइकिल और गढ़मुक्तेश्वर व धौलाना सीट पर रालोद का हैंडपंप का निशान नहीं मिलेगा। मतदाताओं को गठबंधन की जानकारी देने के लिए रालोद और सपा के प्रत्याशी जुटे हुए हैं, ताकि मतदाताओं को किसी तरह का भ्रम न रहे।
1985 में लोकदल ने जीता था चुनाव
गढ़मुक्तेश्वर सीट पर 1962 से 2017 तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुआ है। वर्ष 2002, 2007 और 2012 में सपा का कब्जा रहा है। वर्ष 1985 में लोकदल ने भी इस सीट को जीता था। यहां से बाबू कनक सिंह विधायक रहे थे।
सपा को नहीं मिली है इस सीट से अब तक अच्छी खबर
हापुड़ सीट पर अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। सपा ने प्रत्याशी तो कई बार उतारे, लेकिन अभी तक एक बार भी इस सीट पर चुनाव नहीं जीता हैं। धौलाना सीट पर वर्ष 2012 में पहली बार चुनाव हुआ था। इस सीट पर सपा प्रत्याशी धर्मेश तोमर ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा से असलम चौधरी ने जीत हासिल की थी।
जनता को दे रहे जानकारी
इस चुनाव में हापुड़ की सीट रालोद, धौलाना और गढ़मुक्तेश्वर सीट सपा के खाते में हैं। मतदाताओं को किसी तरह की गलत फहमी न हो इसके लिए समाजवादी पार्टी और रालोद के कार्यकर्ता गठबंधन के संबंध में मतदाताओं को जानकारी दे रहे हैं। गठबंधन को निभाने के लिए सपा और रालोद के वरिष्ठ नेता जिले की तीनों सीटों पर प्रत्याशियों के साथ मिलकर जनसंपर्क में जुटे हुए ताकि गठबंधन की मर्यादा को बनाया जा सके। नामांकन के समय भी दोनों दलों को नेता प्रत्याशियों का नामांकन पत्र दाखिल कराने के लिए पहुंचे थे।