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रुई की घटी कीमत, सूती चादर कारोबारियों को लगा झटका; पिलखुवा निर्मित चादर की विदेशों में भी रहती है डिमांड

रुई के दाम घटने से इसके चलते सूती चादर की कीमत में गिरावट आना लाजिमी है। पिलखुवा निर्मित चादर की दिल्ली महाराष्ट्र चेन्नई सहित अरबी देशों में डिमांड रहती है। उद्यमियों का यह भी मानना है कि रुस-यूक्रेन युद्ध का असर है।

By Sanjeev VermaEdited By: Babli KumariPublished: Fri, 30 Sep 2022 03:27 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 03:27 PM (IST)
रुई की घटी कीमत, सूती चादर कारोबारियों को लगा झटका; पिलखुवा निर्मित चादर की विदेशों में भी रहती है डिमांड
रुई की घटी कीमत, सूती चादर कारोबारियों को लगा झटका

पिलखुवा/ हापुड़, जागरण संवाददाता। रुई के दाम घटने के चलते हैंडलूम नगरी के रूप में विख्यात पिलखुवा सहित देशभर में सूती चादर के कारोबारी चिंतित हैं। दीपावली पर्व के दौरान अक्सर सूती चादर के दामों में इजाफा होता है और डिमांड बढ़ती थी। लेकिन, इस बार रुई के दाम घटने और डिमांड नाममात्र रहने के चलते सूती चादर के दामों में गिरावट हुई है।

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त्योहार के मद्देनजर पहले से मोटी लागत लगाकर स्टाक करने वाले व्यापारियों के सामने मूलधन तक निकलना मुश्किल हो रहा है। सूती चादर निर्माताओं का कहना है कि रुई का कारोबार सोने की तरह प्रतिदिन सट्टा बाजार में बढ़ता और घटता है। एक सप्ताह पहले तक 356 किलो की बोरी के दाम 90 से 95 हजार रुपये थे। वर्तमान में वह दाम घटकर 70 से 75 हजार रुपये रह गए है।

रुई के दाम घटने से इसके चलते सूती चादर की कीमत में गिरावट आना लाजिमी है। पिलखुवा निर्मित चादर की दिल्ली, महाराष्ट्र, चेन्नई सहित अरबी देशों में डिमांड रहती है। उद्यमियों का यह भी मानना है कि रुस-यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़ रही महंगाई को काबू करने के लिए विश्वभर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर में बढ़ोत्तरी करना शुरू कर दिया है। जिस कारण बाजार सहम गया है। इसी के चलते लोहा, सोना, चांदी आदि के साथ रुई के दाम भी अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में काफी गिर चुके हैं।

पिलखुवा में चादर कारोबार पर एक नजर

कई सौ परिवारों के जीवन यापन से जुड़ा कारोबार-

पिलखुवा क्षेत्र में छोटी-बड़ी मिलाकर 15 सौ से अधिक चादर निर्मित करने वाली फैक्ट्रियां है। इन फैक्ट्रियों दस हजार से अधिक कामगार है। चादर कारोबारियों की मानें तो एक चादर चौदह हाथों से निकलने के बाद तैयार होती है। बड़ी संख्या परिवार इस कारोबार से जुड़े हुए है।

क्या कहते हैं कारोबारी : रुई का रेट घटता और बढ़ता रहता है। यह बाजार और सट्टेबाजाें पर निर्धारित है। पिछले दिनों में रुई के दाम में भारी गिरावट है। चादर की डिमांड भी काफी घटी है। इसके चलते इस बार दीपावली पर बाजार मेंं मंदी है। लागत लगाकर स्टाक करने वाले व्यापारी ग्राहक का इंतजार कर रहे है।

हरिओम सिंह, पूर्व अध्यक्ष, वस्त्र व्यापारी संघरुई के दाम घटने के कारण भी चादर कारोबारी चिंतित है। जिला गाजियाबाद के मुरादनगर से प्लेन चादर पिलखुवा में आती है। रंगाई और छपाई के बाद आगे बिकती है। पहले माल की आपूर्ति करना मुश्किल हो जाता है। माल तक नहीं मिल पाता है। इस बार ऐसा नहीं है। डिमांड नहीं होने के कारण माल गोदामों में रखा है।

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