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बाल श्रमिकों को नहीं मालूम बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस के महत्व से अंजान मजदूरी कर अपना बचपन खो रहे बच्चे उसका मखौल उड़ाते ही प्रतीत होते हैं। चाय की दुकान हो या फिर ढाबे, ज्यादातर जगह खिलौनों से खेलने की उम्र वाले बच्चे जूठे बर्तन साफ करते नजर आते हैं। छोटू एक ऐसा शब्द बन गया है, जो अब लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 06:36 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 06:36 PM (IST)
बाल श्रमिकों को नहीं मालूम बाल दिवस का महत्व
बाल श्रमिकों को नहीं मालूम बाल दिवस का महत्व

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

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मजदूरी कर अपना बचपन खो रहे बच्चे बाल दिवस के महत्व से पूरी तरह अन्जान हैं। चाय की दुकान हो अथवा ढाबे, खिलौनों से खेलने की उम्र में ये बच्चे जूठे बर्तन साफ कर अपने परिवार की आर्थिक मदद करने को मजबूर हैं। इन सभी प्रतिष्ठानों पर छोटू नाम के किरदार के बिना ग्राहकों को सुविधाएं उपलब्ध करा पाना मुश्किल है। नगर और आसपास के क्षेत्र में चाय की दुकानों, खोखों, ढाबों और अन्य दुकानों पर काम कर रहे बच्चे अपना असली नाम सुनने को भी तरस जाते हैं। उन्हें नहीं मालूम कि देश में बच्चों के लिए भी एक दिन उत्सव का आयोजन किए जाते हैं।

बचपन ¨जदगी की सबसे सुहानी और यादगार अवस्था होती है। बचपन में की जाने वाली मौज-मस्ती को इंसान अंतिम समय तक याद रखता है। मां की ममता, पिता का स्नेह, दोस्तों का साथ, स्कूल में साथियों के साथ मौज-मस्ती में बचपन कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता, लेकिन इन बच्चों के बचपन की यादें सुहानी नहीं होती हैं। गरीबी की मार के चलते बहुत से बच्चों का बचपन उनके लिए अभिशाप बन जाता है। खेलने-कूदने और स्कूल जाने के दिनों में उन्हें हाड़तोड़ मजदूरी करनी पड़ती है। हमारे समाज में गांव से लेकर शहर तक बाल मजदूरी का मकड़जाल फैला हुआ है। परिवार का भरण पोषण करने के लिए गरीब लोग अपने बच्चों को बालश्रम के नर्क में झोंक देने को मजबूर होते हैं। बाल मजदूरों से काम तो पूरा कराया जाता है, लेकिन उन्हें वेतन बहुत कम कम दिया जाता है।

न्यायालय द्वारा बाल श्रम को पूरी तरह अवैध करार दिए जाने और सरकार द्वारा इसे सख्ती से रोकने के लिए आदेश दिए जाने के बावजूद बाल श्रम को रोका नहीं जा सका है। बाल श्रम रोकने के सारे प्रयास केवल दस्तावेजों में ही दिखाई देते हैं। अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो रेस्टोरेंट, ढाबों, मिस्त्रियों की दुकानों आदि अधिकतर प्रतिष्ठानों पर छोटे-छोटे बच्चे काम करते हुए मिल जाएंगे। इस अपराध को रोकने के लिए धरातल पर प्रयास नहीं हो पा रहे हैं। बाल श्रम में लिप्त ये बच्चे नहीं जानते कि चाचा नेहरू कौन थे और बाल दिवस क्यों मनाया जाता है। बाल श्रम कराना कानूनी अपराध है। श्रम विभाग से वार्ता कर शीघ्र ही अभियान चलाकर बाल श्रम कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -ज्योति राय, उपजिलाधिकारी


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