दिनभर बदला मौसम का मिजाज, कभी गर्म तो कभी ठंडा
05एचपीआर37 38 जागरण टीम हापुड़ पिछले तीन दिनों से मौसम का मिजाज बार बार बदल रहा है।
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जागरण टीम, हापुड़
पिछले तीन दिनों से मौसम का मिजाज बार बार बदल रहा है। रविवार को जोरदार बारिश हुई तो सोमवार को दोपहर में मौसम साफ रहा। मंगलवार को भी दिन में कई बार आसमान में बादल छाए और हल्की बूंदा बांदी हुई। दोपहर के समय चटक धूप निकलनी, तो लोगों ने छतों पर बैठकर धूप का आनंद लिया। शाम के वक्त फिर से आसमान में बादल छाने लगे। ठंडी हवा चलने से फिर से ठंड बढ़ गई। बच्चे और बुजुर्ग गर्म कपड़ों में पैक रहे।
नए साल की शुरुआत के साथ ही मौसम का मिजाज दिन प्रतिदिन बदलता जा रहा है। मंगलवार सुबह को आसमान में बादल छाए रहे, लेकिन दोपहर के समय धूप निकलने पर लोगों ने राहत ली। कुछ घंटों बाद फिर से आसमान में काले बादल छा गए और बूंदा बांदी होने लगी। शाम को ठंड बढ़ने के कारण बाजारों में लोगों का आवागमन कम रहा। लोग जल्द काम निपटा कर घरों को लौटने लगे।
पिलखुवा संवाद सहयोगी के अनुसार दो दिन तक हुई रुक-रुककर हुई बारिश के बाद मंगलवार को भी दिन भर मौसम का मिजाज बदलता रहा। सुबह चमकदार धूप निकली। लोगों को सर्दी से राहत ही नहीं बल्कि गर्म कपड़ों में गर्मी का अहसास तक हुआ। इसके बाद दोपहर में अचानक आसमान में बादल छाए और बारिश शुरू हो गई। बीस मिनट तक हुई बारिश के कारण मौसम अचानक ठंडा हो गया, लेकिन बारिश बंद होते ही एक बार फिर सूर्यदेव के दर्शन हुए और लोगों को ठंड से राहत मिली। दिनभर बदलते मौसम को चिकित्सकों का कहना है कि इस मौसम में हल्की सी असावधानी बीमार डाल सकती है। राजकीय चिकित्सालय के चिकित्सा प्रभारी डॉ. चंदन का कहना है कि जिस तरह मौसम लगातार बदल रहा है। ऐसे में लापरवाही बरतना बीमारी को न्यौता देना है। लोग गर्म कपड़े पहनने से परहेज ना करें। इसके अतिरिक्त तीन में कम से कम तीन बार गुनगुना पानी पीए।
गढ़मुक्तेश्वर संवाद सहयोगी के अनुसार मंगलवार को भी सुबह के समय चटक धूप निकली, तो लोगों ने छतों पर बैठकर धूप का आनंद लिया। हालांकि तीन बजे के बाद आसमान में काले बादल छाने और हल्की हवा चलने में एक बार फिर ठंड बढ़ गई है। बच्चे और बुजुर्ग गर्म कपड़ों में दुबक गए। शाम के वक्त बाजारों में लोगों की आवाजाही भी कम हुई है।
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गेहूं की बुवाई हुई प्रभावित
रविवार को हुई बारिश से उन किसानों की चिता बढ़ गई है, जो गेहूं की बुवाई की तैयारी में थे या फिर एक दो दिन पूर्व ही बुवाई का कार्य निपटाया था। बताते हैं कि 85 फीसदी किसान गेहूं की बुवाई का कार्य निपटा चुके हैं, बाकी 15 फीसदी किसान ही गेहूं की बुवाई में लेट हैं।