कृत्रिम गर्भाधान से सुधर रही गोवंशों की नस्ल
जागरण संवाददाता हापुड़ कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं की नस्ल सुधार की कवायद चल रही है। इस
जागरण संवाददाता, हापुड़
कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं की नस्ल सुधार की कवायद चल रही है। इसका श्रेय पशु पालकों में जागरुकता को दें या फिर विभाग के प्रचार-प्रसार को। यानि अब जिले में शासन द्वारा चलाई जा रही वर्गीकृत सेक्स सीमन योजना परवान चढ़ती दिख रही है। जिले के जागरूक पशुपालक गायों की नस्लों को सुधारने और दूध की किल्लत को समाप्त करने के लिए सीमन खरीद रहे हैं। जिससे गाय बछिया पैदा कर रही हैं। दूध का संकट दूर करने के लिए हापुड़ के गांव विगास स्थित अतिहिमिकृत वीर्य उत्पादन केंद्र अहम भूमिका निभा रहा है। दो साल पहले शुरू हुए इस केंद्र में विभिन्न नस्लों के पशुओं का वीर्य उत्पादन किया जा रहा है। केंद्र में हर साल 3.20 लाख सीमन डोज तैयार की जा रही हैं। इस उत्पादन केंद्र पर सांडों की सात तरह की नस्ल और भैंस की एक तरह की नस्ल के सीमन डोज तैयार की जा रही है। केंद्र के अफसरों का दावा है कि इस लैब में तैयार किए गए वीर्य से 92 प्रतिशत बछिया पैदा होती हैं। प्रदेश भर में इस सीमन डोज की आपूर्ति की जा रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि वर्गीकृत सेक्स सीमन योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के लिए शासन ने 2100 सीमन डोज बिक्री करने का लक्ष्य दिया था। अभी तक 512 पशुपालकों ने आवेदन किए। जिनके यहां जाकर पशु चिकित्सक ने सीमन डोज के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है। --------- बेसहारा पशुओं से मिलेगी निजात
बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने और नस्ल सुधार के लिए प्रदेश सरकार बछिया पैदा करने वाला सीमन पशुपालकों को दे रही है। यह सीमन प्रदेश के 68 जिलों में 300 रुपए में और बुंदेलखंड क्षेत्र के पशुपालकों को 100 रुपए में उपलब्ध कराया जा रहा है। इस सीमन का नाम सेक्स्ड सीमन (वगीकृत वीर्य) है। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में इस सीमेन तैयार किया जाता है, जिससे केवल बछिया पैदा होती हैं। केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. वीर सिंह ने बताया कि सीमन की जांच के लिए सरकार ने प्रदेश के तीन जिलों (इटावा, लखीमपुरखीरी, बाराबंकी) में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में गायों में इस सीमन का इस्तेमाल किया था। 714 में से 648 मादा और बाकी नर ने जन्म लिया था। -------- इस तरह पैदा होती हैं बछिया
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि सामान्य सीमन में एक्स व वाई दोनों ही तरह के क्रोमोजोम को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं। यानी एक ही सीमन सैंपल में कुछ स्पर्म एक्स क्रोमोसोम वाले होते हैं तथा कुछ स्पर्म क्रोमोसोम वाइ वाले होते हैं। ऐसे सीमन से एआई (कृत्रिम गर्भाधान) करने पर यदि एक्स क्रोमोसोम वाला स्पर्म अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछिया पैदा होती है और यदि वाइ क्रोमोसोम वाला क्रोमोसोम अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछड़ा पैदा होता है। सेक्स सोर्टेड सीमन में सिर्फ एक ही तरह के क्रोमोजोम (एक्स या वाइ) को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं। यानी एक सीमन सैंपल में सभी स्पर्म एक्स क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं या सभी स्पर्म वाइ क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं। एक्स क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से एआइ करने पर बछिया पैदा होती तथा वाइ क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से एआइ करने पर बछड़ा पैदा होता है। इसलिए इस तकनीक के इस्तेमाल से 92 प्रतिशत बछिया ही पैदा होती हैं। इन नस्लों का तैयार होगा वीर्य उत्पादन केंद्र में पशुओं की चिकित्सा का काम देखने वाली डॉ. अलका सिंह ने बताया कि इनमें थार पारकर, जर्सी, साहीवाल, गिर, गंगातीरी, एचएफ और डेनमार्क की नस्ल हैं, जबकि भैंसे से मुर्रा नस्ल का वीर्य तैयार किया जाएगा। इस वर्गीकृत लैब में तैयार होने वाले वीर्य से 92 प्रतिशत गायों की उन्नत किस्म की बछिया पैदा होंगी।
-------- 300 रुपये में खरीदी जा रही एक सीमन डोज डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि जब पशु पालक आवेदन करता है तो उसके लिए उसे सिर्फ कार्यालय पर सूचना देनी होती है। धनराशि जमा कराने के बाद चिकित्सक द्वारा घर जाकर गाय का सीमन डोज के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। पशु पालक को कुछ एहतियात बरतने की सलाह भी दी जाती है। -------- कीमत कम कराने की पशुपालक कर रहे मांग सीमन डोज की कीमत 300 रुपये रखने पर पशुपालकों में रोष है। रसूलपुर निवासी किसान जतिन चौधरी का कहना है कि शुरुआत में सरकार को सीमन डोज की कीमत निश्शुल्क या महज 100 रुपये रखनी चाहिए थी। ताकि किसानों में इसमें रुचि लें।